Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 215
________________ १५० प्रकृति नाम अपर्याप्त साधारण दुर्भगचतुष्क Jain Education International उ० अनु० उदो० स्वा० अति सं. चरमसमयवर्ती अपर्याप्त मनुष्य जघन्य स्थितिक अति सं पर्याप्त बादर निगोद पंचसंग्रह ८ ज० अनु० उदी० स्वा० परावर्तमान मध्यम परिणामी अपर्याप्त उ. आयुष्क स्वोदय प्रथम समयवर्ती सूक्ष्म विशुद्ध परिणामी उ. स्थितिवाला अति | स्वोदयवर्ती परावर्तमान संक्लिष्ट पर्याप्त सप्तम मध्यमपरिणामी पृथ्वी नारक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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