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उदीरणाकरण-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १२
परिशिष्ट : १२
अनुभागोदीरणापेक्षा उत्तर प्रकृतियों की घाति, स्थान एवं विपाकित्व
प्ररूपणा दर्शक प्रारूप
घाति | घाति | स्थान | स्थान प्रकृति नाम | उत्कृष्ट | जघन्य | उत्कृष्ट | जघन्य विपाकी
अनु उदी. अनु. उदी. अनु. उदी. अनु. उदी.
मति-श्रु ता- वरण
सर्वघाति । देशघाति चतुः स्था.एक स्थान जीवविपाकी
कितनीक पर्यायसहित सर्व जीव द्रव्य
अवधिद्विक. आवरण
जीवविपाकी रूपी द्रव्य में
मनपर्याय ज्ञानावरण
| "
| "
,
द्वि. स्था. | जीवविपाकी कित.
नीक पर्याय सहित सर्व जीव द्रव्य
,
केवलद्विक- आवरण
सर्वघाति
"
|
"
चक्षुदर्शनावरण | ,
देशघाति द्वि. स्था. एक स्थान | जीवविपाकी गुरु
लघु अनन्त प्रदेशी स्कन्ध में
अचक्षुदर्शनावरण देशघाति | , , | " निद्रा, प्रचला सर्वघाति | सर्वघाति चतुः स्था. द्वि. स्था. | जीवविपाकी
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