Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 205
________________ १७० पंचसंग्रह : ८ प्रकृति नाम घाति उ.| घाति | स्थान । स्थान | अनु उ. अ.अनु.उ. उ अनु.उ. ज.अनु.उ. विपाकी संहननषट्क | सर्वघाति सर्वघाति | द्वि. स्था. | द्वि. स्था. | पुद्गलविपाकी प्रतिभाग प्रतिभाग मध्यम संस्थान चतुष्क आदि, अंतिम संस्थान , चतुः स्थान मृदु-लघुस्पर्श गुरु, कर्कश द्वि. स्था. स्पर्श | " चतुः स्थान , गुरु-कर्कश बिना अशुभवर्ण सप्तक, अस्थिर, अशुभ , द्वि. स्था. क्षेत्रविपाकी आनुपूर्वी चतुष्क विहायोगतिद्विक चतुः स्थान जीवविपाकी उपघात, पराघात पुद्गल विपाकी आतप द्वि. स्था.. , उद्योत चतुः स्थान , जीवविपाकी उच्छ्वास, तीर्थकर, वसत्रिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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