Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 203
________________ १६८ पंचसंग्रह : ८ प्रकृति नाम घाति | धाति | स्थान | स्थान उ.अनु.उ. ज.अनु उ उ.अनु.उदी ज.अनु.उदी विपाकी -स्त्यानद्धित्रिक | सर्वघाति सर्वघाति चतुः स्था. द्वि. स्था. जीवविपाकी दानान्तराय देशघाति देशघाति द्वि. स्था. एक स्थान जीवविपाकी सर्व चतुष्क द्रव्य का अनन्तवां भाग वीर्यान्तराय जीवविपाकी कितनीक पर्याय सहित सर्व जीव द्रव्य मिथ्यात्वमोह | सर्वघाति सर्वघाति चतुः स्था. द्वि. स्था. मिश्रमोह | , द्वि. स्था. , सम्यक्त्वमोह देशघाति देशघाति , एक स्थान आद्य द्वादशसर्वघाति सर्वघाति चतुः स्था. द्वि. स्था. जीव वि. कितनीक कषाय पर्याय सहित सर्व जीव द्रव्य संज्व. चतुष्क , देशघाति , एक स्थान द्वि. स्था. हास्यषट्क नपुसकवेद एक स्थान स्त्री, पुरुष वेद | ,, ,, द्वि. स्था. , वेदनीयद्विक सर्वघाति | सर्वघाति चतुः स्था. द्वि. स्था. | जीवविपाकी प्रतिभाग | प्रतिभाग द्वि. स्था. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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