Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 206
________________ उदीरणाकरण-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १२ १७१ प्रकृति नाम | घाति | घाति | स्थान | स्थान उ.अनु उ. ज.अनु उ. उ अनु.उ. ज.अनु.उ. विपाकी प्रत्येक सर्वघाति सर्वघाति चतुः स्थान द्वि. स्था. | पुद्गलविपाकी प्रतिभाग प्रतिभाग जीवविपाकी सुभगचतुष्क दुर्भगचतुष्क , द्वि. स्था स्थावर, सूक्ष्म, अपर्याप्त साधारण वतुः स्थान , पुद्गलविपाकी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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