________________
१६२
पंचसंग्रह : ८
परिशिष्ट : अनुभागोदीरणापेक्षा मूल प्रकृतियों की साधादि प्ररूपणादर्शक प्रारूप प्रकृति नाम | जघन्य । उत्कृष्ट । अजघन्य अनुत्कृष्ट
ज्ञानावरण सादि अध्र व सादि, अध्र व अनादि,ध्र व, सादि, अध्र व दर्शनावरण
अध्र व
वेदनीय
|
,
मोहनीय
सादि, अध्र व सादि, अनादि, ध्र व
अध्र व सादि,अनादि, सादि, अध्र व
ध्र व,अध्र व सादि, अध्र व
, ! अनादि, ध्रुव, अध्र व
आयु
नाम, गोत्र
अंतराय
अनादि, ध्रुव, सादि, अध्र व अध्र व
-
-
-
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org