Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 199
________________ १६४ पंचसंग्रह :८ - प्रकृतिनाम जघन्य | उत्कृष्ट अजघन्य अनुत्कृष्ट तैजस सप्तक सादि, अध्र व सादि,अध्र व सादि, अध्र व अनादि, ध्र व, अध्र व अगुरुलघु, निर्माण, मृदुलघुबिना शुभ वर्ण नवक स्थिर, शुभ संहनन षट्क , सादि, अध्र व संस्थान षट्क मृदु, लघु स्पर्श । सादि, अनादि, | ध्रुव, अध्र व गुरु, कर्कश स्पर्श सादि,अनादि, सादि, अध्र व ध्र व, अध्र व अनादि, ध्रुव अध्र व गुरु, कर्कशबिना अशुभ वर्ण सप्तक, अस्थिर,अशुभ आनुपूर्वी चतुष्क सादि, अध्रव विहायो गतिद्विक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |

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