Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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उदीरणाकरण-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १०
१६३ परिशिष्ट : १० अनुभागोदीरणापेक्षा उत्तरप्रकृतियों की साद्यादि प्ररूपणादर्शक प्रारूप प्रकृति नाम | जघन्य । उत्कृष्ट । अजघन्य । अनुत्कृष्ट
ज्ञानावरण सादि, अध्र वासादि, अध्र व अनादि, ध्र व, सादि, अध्र व पंचक, दर्शना
अध्रुव वरण चतुष्क
निद्रापंचक
"
दानान्तरादि अन्तराय पंचक
सादि, अध्र व अनादि,धव, अध्र व
मिथ्यात्वमोह
सादि,अनादि, ध्रुव, अध्र व
,
सादि, अध्र व
मिश्र, सम्यक्त्वमोहनीय अनन्तानुबंधि आदि सोलहा कषाय, नव नोकषाय
वेदनीयद्विक, आयुचतुष्क, गोत्रद्विक गतिचतुष्क जातिपंचक औदारिक सप्तक,वैक्रिय सप्तक. आहारक सप्तक
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