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प्रकृतिनाम
हुंडक संस्थान
नरकानु पूर्वी
देवानुपूर्वी
तिर्यंचानुपूर्वी
मनुष्यानुपूर्वी
उ. स्थि.
आवलिका
द्विक न्यून २० को. को.
सागर
"
""
साधिक आव. साधिक
विग्रह गति
प्रथम समय
अन्त न्यून |पल्यो. असं. २० को. भाग न्यून वर्ती धूम्र प्रभा २ / ७ सागर दि तीन नरक
को. सागर
-अशुभविहायो आव. द्विक न्यून २० को.
गति
को.
सागर
शुभविहायो आव. त्रिक गति न्यून २० को.
को. सागर
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ज. स्थि. उ. स्थि. स्वा.
अन्तर्मुहूर्त
""
आव. द्विक विग्रह गि अधिक पल्यो. प्रथम समय असं भाग न्यू. २/७ सागर | तिर्यंच
वर्ती मिथ्या.
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मिथ्या. नारक कुछ संपूर्ण पर्याप्त संज्ञी
मनुष्य तिर्यंच
अन्तमुहूर्त
विग्रहगति
प्रथम समय
वर्ती देव
"
वि. गति. प्रथम समय वर्ती मिथ्या पर्या. | गर्भज मनुष्य
वर्ती मनुष्य तिर्यंच
मिथ्या. देव स्वोदयवर्ती मनुष्य. तियंच
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पंचसंग्रह:
ज. स्थि. स्वा.
चरम समय वर्ती सयोगि.
अल्पकाल बांधकर दीर्घायु. असंज्ञी में से आगत विग्रहगति तृतीय समयवर्ती नारक
पूर्वोक्त प्रकार का जीव किन्तु देव
जघन्य स्थिति सत्ता
वाला एके. में से आगत
|
विग्रह गति तृतीय समयवर्ती संज्ञी तिर्यंच
मिथ्या, नारक चरम समयवर्ती और स्वोदय सयोगि.
पूर्वोक्त प्रकार का जीव, किन्तु मनुष्य
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