Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा ५३
तीर्थंकर नाम और घाति प्रकृतियों के अनुभागो
दीरणा प्रत्यय
गाथा ५४, ५५
अनुभागोदीरणापेक्षा मूल प्रकृतियों की साद्यादि
प्ररूपणा
( २५ )
गाथा ५६
कर्कश, गुरु, मृदु. लघु स्पर्श एवं शुभ ध्रुवोदया बीस प्रकृतियों की साद्यादि प्ररूपणा
गाथा ५७
अशुभ नवोदया प्रकृतियों की साद्यादि प्ररूपणा
गाथा ५८
अंतरायपंचक, चक्ष-अचक्ष, अनुभागोदीरणा स्वामित्व
दर्शनावरण का उत्कृष्ट
गाथा ५६
निद्रापंचक, नपुंसकवेद, अरति शोक, भय, जुगुप्सा, असातावेदनीय का उत्कृष्ट अनुभागोदीरणा स्वामित्व
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७६-८०
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७६
८० – ८३
गाथा ६०
पंचेन्द्रियजाति, त्रसत्रिक, सातावेदनीय, सुस्वर, देवगति, वैक्रिय सप्तक, उच्छ् वास नाम का उत्कृष्ट अनुभागोदीरणा स्वामित्व
गाथा ६१
सम्यक्त्व, मिश्र मोहनीय, हास्य, रति का उत्कृष्ट अनुभागोदीरणा स्वामित्व
८४-८५
८०
८४
८५-८६ ८५
224
८८
८७-८८
८७
- दह
८६
८६-६०
६०
६०-६१
६०
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