Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पंचसंग्रह : ८
तिरियगईए देसो अणुपुव्विगईण खाइयो सम्मो। दुभगाईनीआणं विरइ अब्भुट्ठिओ सम्मो ॥८॥ देवनिरयाउगाणं जहण्णजेट्टट्ठिई गुरुअसाए। इयराऊणं इयरा अट्ठमवासेट्ठ वासाऊ ॥८६॥ एगतेणं चिय जा तिरिक्खजोग्गाऊ ताण ते चेव । नियनियनामविसिट्ठा अपज्जनामस्स मणु सुद्धो ॥८॥ जोगंतुदीरणाणं जोगते दुसरसुसरसासाणं । नियगते केवलीणं सब्वविसुद्धस्स सेसाणं ।।८८॥ तप्पाओगकिलिट्ठा सव्वाण होंति खवियकम्मसा। ओहीणं तव्वेइ मंदाए सुही य आऊणं ॥८६॥
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