Book Title: Panchsangraha Part 08
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पंचसंग्रह : ८ परिशिष्ट : ४
प्रत्युदोरणापेक्षा उत्तर प्रकृतियों की साद्यादि प्ररूपणा स्वामित्व प्रकृति नाम | सादि | अध्र व | अनादि
स्वामित्व ज्ञानावरण ५ x १२वें गुण. ध्र वो- | अभव्य | क्षीणमोह गुणस्थान दर्शनावरण ४| समया- क्या
तक के जीव अन्तराय ५
धिक होने से आव. शेष रहने पर विच्छेद होने से
निद्रा, प्रचला
अध्र वो. अध्र वोदया होने दया होने
इन्द्रिय पर्या. के बाद के समय से ग्यारहवें गुण तक के
स्त्याद्धित्रिक
इन्द्रिय पर्या. के बाद के समय से छठे गुणस्थान तक के मनुष्य संख्यात वर्षायुष्क मनुष्य तिर्यंच
मिथ्यास्व. स्व सम्यक्त्वा भव्य
से गिरने पर
अनादि | अभव्य | प्रथम गुणस्थानवर्ती मिथ्यात्वी
मिश्र दृष्टि
मिश्रमोह | अध्र वो-| अध्र वो
दया दया होने से | होने से
x |
x
सम्यवत्वमोहनीय
| ४-७ गुणस्थान तक के क्षायो. सम्यक्त्वी
अनन्ता. चतुष्क
x Jआदि के दो गुणस्थान
वर्ती
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