Book Title: Panchsangraha Part 05
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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४०६
४१६ ४२०
ध्रुवसत्ताका प्रकृतियों की साद्यादि प्ररूपणा अध्र वसत्ताका प्रकृतियों की साद्यादि प्ररूपणा
४१० गाथा १४४
४११-४१४ बंधोदयोत्कृष्ट प्रकृतियों की उत्कृष्ट स्थिति सत्ता ४११
अनुदयबंधोत्कृष्ट प्रकृतियों की उत्कृष्ट स्थिति सत्ता ४१२ गाथा १४५
४१४-४१६ उदयसंक्रमोत्कृष्ट प्रकृतियों की उत्कृष्ट स्थितिसत्ता ४१५
अनुदयसंक्रमोत्कृष्ट प्रकृतियों की उत्कृष्ट स्थितिसत्ता ४१७ गाथा १४६
४१६-४२० उदयवतो प्रकृतियों के नाम व जघन्य स्थितिसत्ता
अनुदयवती प्रकृतियों के नाम व जघन्य स्थितिसत्ता गाथा १४७
४२०-४२२ हास्यषट्क, पुरुषवेद, संज्वलनत्रिक की जघन्य स्थिति सत्ता
४२१ उत्तर प्रकृतियों का जघन्य स्थिति सत्ता स्वामित्व
४२१ गाथा १४८
४२२-४२४ स्थितिस्थानों का प्रमाण व उनकी निरन्तर सांतर
रूपता गाथा १४६
४२५-४२६ सामान्य से अनुभाग सत्कर्म सम्बन्धी विशेषताओं का
संकेत गाथा १५०
४२६.-४२७ मनपर्यायज्ञानावरण, सम्यक्त्वमोहनीय, वेदत्रिक, क्षीणमोहगुणस्थान में क्षय होने वाली प्रकृतियों, और संज्वलन लोभ सम्बन्धी विशेषतायें
४२२
४२६
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