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कोक । शरीर, सवामित रोगादि एवं कर्मकृत कोषादि | बीज भरिसर सौदर्य के लिये विकारोंकी मास्मासे भिन्नता १२-१४ मानवजनक होता है
३-11 सर्व चिम्ता त्याज्य है, इस दुखिके द्वारा जानित | स्त्रीका शरीर घृणास्पद है
वय चैतन्य समुनको शीघ्र बढ़ाता है ५ बीके विषय में मनुरागवर्धक सम्पको रखनेवाग मेरा सल्प ऐसा है
कवि से प्रशंसनीय कहा जाता है -" पथके कारणभूत ममके निपत्रणसे वह उस
| जय परधन-सीकी अभिलाषा करनेवाका बन्धनसे मुक्त कर देगा
गृहस देव मामाता सब मुनि पोन मनुष्य-तकको पाकर मस्त-फलको महण करना
देवोंका देव होगा योग्य
सुख और सुखाभास योगियों का निदोष मन ज्ञानाम्भकारको नर
सीका परित्याग करनेवाले सालोंको पुजारमा करता है
जन भी नमस्कार करते है। योगी का सिर होता है
संपका मनुशान मनुम्य पायमें ही सम्भव है २७
अन्धकार द्वारा कामरोग की पासक यति मास्मसरूपका विचार
(पचरक्षावर्ति) के सेवनकी प्रेरणा २१ निश्चयपचारके रचनेका उल्लेख रित्तमें मारमतवके स्थित होनेपर इनकी
१३. ऋषमस्तोत्र १-६१, पृ. २०१ सम्पदासे भी प्रयोजन नहीं रहता १९
नाभिराजके पुत्र सम जिनेन्द्र मान हो । १२, प्रमचर्यरक्षावर्ति १-२२, पृ. १९३ अपम जिनेन्द्रका दर्शनावि पुष्परमा जनोंके ही
द्वारा किया जाता है कामविजेता बतियों के लिये नमस्कार !
जिनदर्शनका माहाल्म अमाप वाचारीका स्वरूप
जिनेन्द्रकी स्मृति मना मालम्भव है यदि मसके विषयमें सममें कोई दोष गला | जिनके नामस्मरणसे मी मीमी प्रास
हो तो भी रात्रिविभागके अनुसार मुनिको
उसका प्रावधित करना चाहिये । अपम जिनेन्द्र के सर्विसिरिसे अवतीर्थ अवर्षकी रक्षा मनके संयमसे ही होती है । होनेपर उसका सौभाग्य नष्ट हो गया था । बाझ और मभ्यस्तर मानका सरूप व पुविधीक 'वसुमती' मामकी सार्थकता सनका कार्य
पुनक्वी वियोंमें मवेवीकी श्रेला अपनी प्रतनिधिके रमणार्य मुनिको बी मानका इनके निनिमेष बहुत मेत्रों की पहल परिमाग करना चाहिये
पूर्व मावि ज्योतिषी मेकी प्रवक्षिणा बाकी मार्ग भी मुनिधर्मको ना करनेवाली है . किया करते है सापूर्वक का मुखावलोकन । स्मरण प्रतिशत, | मेले पर जिनजम्माभिषेक
पर एक सप मादिको ना करनेवाला है -९ कम्पकोंक मह हो मानेपर उनके कार्यों मुक लिने किसी भी श्रीकी प्रासिकी सम्भावना
एकपम जिनेन्द्रने ही पूरा किया गरहने तद्विपमा मनुरागको छोडना ही प्रविपरीकी रोमांचता
अपम जिनेन्द्रकी बिकिन मितीका परित्वाम १५-१६ पाक पीरूप ग्राम गृहल्ल, सपा मुनि उसके । म्यानमें अवस्थित एवम बिन्दकी सोमा 1-16
परित्यागसे पहचारी (मगार) होन" पातिकका शाब और केवमहालकी सत्पति १५
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