Book Title: Padmanandi Panchvinshati
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 315
________________ पद्यानुक्रमणिका अ | भलियं कमले कमला "-4, 727 ! भाषातेऽनुमा भवाति -:04, 108 बहसोहिमो सि तया १३-10,698 | अल्पायुषामल्पधियाँ 1.110, 127 | मासकोटिभिरुपा- २-४२, 205 भक्षयस्वाक्षयानम्- -५०, 357 मचिरतमिद तावत् 1-10५, 105 | मायासकोरिमिरुपा- २-७, 240 मगोचरो वासरकृनिशान १५-२०,795 मशुचिनि प्रसन २५-५, 985 | भायुःक्षतिः प्रतिक्षणम् ३-२८,280 मनाषियोपसमावः 11-11, 611 अस्तु अयं मम सुदर्शन-२.८, 878 प्राराध्यस्ते जिनेन्ना 1-11,13 मग यपि योषितां १२-1, 673 अस्पृष्टमबमनपा 11-10,614मारार्तिक सरलवहिणि ११-६,858 अच्छतु ताव इयरा १३-२५,705 अहमहमियाए णिवति १३-०३,724 | आवरणाईणि तए १३.२०, 701 अजमेकं परं ज्ञात -१८,325 महमेकात्यद्वैस 11-14,642 माश्रित्य व्यवहारमार्ग ९-९,528 मझो. यजयकोटिभिः १-१३०, 130 महमेव विसरूपः १.-81,638 | पालामम्यगतो प्रतिक्षण-102.142 मह चैतम्भमेबैक्यं अणुस्तानि पञ्चैव २५, 420 ४-५४, 361 | माझामस्य विधामता १.१९६, 196 कस्ये ना विढे ३.१, 690 | मणस्स जहा जोहा १५.३६,717 | भाखामेतदमुत्र स्तृत १-२५, 93 मणो को तह पुरभो 1,722 भारतामेतपदिह अपनी 1-२१, 22 अतिसूक्ष्ममतिस्थूलं ४-५८, 365 "-4, 602 भाकाक्ष एवं शशिसूर्य-1-11.283 | मास्तो अराविदुःखें अधुवाणि समस्तानि ६-४५, 441 | भाक्रम्दं कुरुते यन्न १-२१, 2751 मास्तां सब स्थितो मस्तु .१२,869 मधुवाशरणे चैव द.१३, 439 | आधारश्न तदेवक भास्ता बाहिरुपाधिषयः 11-२७,624 11,84814 अनन्तबोधावि- १६-१४, 820 | भाचारो मधर्मसंघम- १-३८, 38 | | माहारास्युखितोषभा -२, 470 भनय रखत्रय -५८, 58 माजाते स्त्वमसि ७२,172 भनुप्रेक्षा इमाः सद्भिः ६.५४, 454 भारमन निश्चयबोध- ११-१२, 609 | इति क्षेयं तदेवक -1, 328 अनेकजन्मार्जितपाप- १५-२७, 802 मारमोधम्धितीर्थ- १०-२८, 575 | इत्यत्र पहनेऽत्यन्त -६1, 868 अनौपम्यमनिदेश्य ४-५९, 366 | मारमभुवि कर्मत्रीजात् 112.,617 इत्यादिधर्म एषः क्षितिप-160,164 अन्तरमवहिरङ्गयोगतः १.४४, 591 कास्मातीव सुचिः २५-२,924 / इस्यास्थाय हवि स्थिरं ९-२८, 542 भन्तर्याबिकल्पमाल- २३-२,896 भारमानमेवमधिगम्य 1-1३९ 139 इत्युपासकसंस्कारः -१२, 48 अन्तस्तस्वमुपाधिवर्मित- ५.८, 395 | भारम। प्राविविक्तबोध-१२-२, 661 इस्येकानमना नित्य २२-१.,893 अन्तस्मस्वं विशुद्वात्मा ६-६०, 456 | मारमा भित्रस्तदनुगति-.-१५,386 | इन्द्रवं च निगोदतां च ९-२०,544 भन्योऽहमन्यमेतत् १५-२२,619 भारमा मूर्तिविवर्जितो 1-12,136 | इन्द्रस्य प्रणतस्य -9, 4 भपहर मम जन्म दया २०.६, 863 | आत्मा परमीक्षते १-१५२, 152 | इमामधीते श्रुतदेवता- १५-१०,805 अपारजग्मसंतान- ४.५७,364 आरमेक: सोपयोगी मम-१५५,155 इष्टक्षयो यदि ते ३.४, 266 अपि प्रयाता चशमेक-१५-१५,794 ] भारमोत्तागृई .२७, 512 | इह वरमनुभूतं भूरि १-७, 37 अपेक्षते यत्र दिनं न १५-२, 777 । भादाय व्रतमात्मतरक- ५-१, 388 -1129 | मादी दर्शनमस 1114 | उक्त जिनविशमेद १-१२६, 126 भभ्यस्थतान्तरसं -५०, 50 | माथा सद्तसंचयस्व 11,8 उक्केयं मुनिपभनन्दि- १२-२२,681 भमलारमजलं समलं 11-11,618 भायो जिनो नृपः श्रेयानू.1,397 उमग्रीष्मरविप्रताप-१-१२, 192 अम्मोहदसंनिभा ३-१,256 माथोत्तमक्षमा यत्र -५५,455 उः फलाय परमामृत. १९-6,855 मम्हारिसाग सुई गोल- ३५, 686 | आधिम्याधिजरामृति ९-२१, 535 उझोदीरणा सता ४-३४, 341 अरिष्टसंकर्तनचक्र- १६-२२, 828 | आपत्सापि यतेः परेण २५-4,902 उदेति पातायं रविधा ३-७, 259 मादा प्रचुरप्रपञ्च- १-२८,28 | भापतषु रागरोष 1-10, 112 | उत्कृष्टपानमनगार- २-१८,246 माईनसमाश्रितसमस्त-2114,888 | भापग्मयसंसारे २-11, 298 | उबर मा पतिवमतो २०-३, 860

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