Book Title: Padmanandi Panchvinshati
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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पमानि-पारिवाति मन्ये म प्रारणापा ५५, 117 पर.पा. -11, 197 , पर बान्ति पर लिपति 111, 29 मदितः परजात 11.1,631 पायोकं प्रतिमाभिरानि- 1-14, 15 | बुदे तावद रथेम- 11, 293 महर्षिमुक्तो विमको 11-11,819 या अबकोक एप 20,478 युवतिसंगक्विन १५-१,939 मदरमहिबमापांकु-1-1.711 यत्पसण्डमही1-101,181 पूजाधामकता पाय 12-14,674 मामा बाहिरसा -१९, 646 पत्संगाचारमेतपति 1-1.1, 104 ये गुरु नै मम्पन्ते 19, 415 मानसस गसिरति १२,569 | भत्सवकसुरद ४-२, 832 ये जिला निजकर्मक्कम 6-1,489 मानुभकिक दुलम १९४, 97 | | मत्सा पदसातम् -11,905
थे जिनेन्द्रन पश्यस्ति -१५,41I मानुष्य प्राप्प पुण्यात् 101,71 | यसुख ससुखामास -10, 449 देधर्मकारणसमुसिता २२०, 228 मानुष्यं सरकुले अम्म .७२, 379 - मत्स्स्म महम -11, 498 | मेनेई जावापदम्पषि 1-10 117 मायित्वं कुको कृतं १-१०, 90 | मथाविधान बमनुस्मृता ।५-१५,801 पठन्ति न समसार ६.२०,416 मार्ग समकटीकरोति 11,836 | पदण्यकमबोधामा -1, 810 येन्यासयन्ति कथमन्ति८०,387 मिथ्यावादेव विह 100, 100 यदि मवेदालासु रतिः २५.1,993 | थे मूळ मुषि तेऽपि 1,268 मिप्याशी विसरमा १-१४, 34 पदीयपादादिम १९,815 मोझ प्रतिमोचता। 16,475 मियोऽपि करिव २-११, 231 | पर्षदेशे नभसि १५-२३, 829 वेकोकाप्रषिकम्बिनः ८-1,488 मुक इत्यपि न 10.14, 565 | यदेव चैतम्यमई तदेव -04. 383 बेषां कर्मनिदानाम्य -1,496 मुक्केबारिहार्गका १२-७, 666 | यहीयते जिनगृहाय २.५१, 249 | मेषां बिनोपदेशेन 10,433 मुल्ला मूलगुणान् ..40 पद रहे बहिरङ्गानादि :-101, 143 | ये साधारमपारसौषप १-५५, 59 मुस्मोपचारविति 11,608 | पहानोरपि गोचरं न १०-७, 987 | मैर्युःखानि समानुपति ८.७, 492 मुमुक्षूणां तदैवैक 14, 353 यमदेव मनप्ति स्थित 1.-11, 569 नियम विलोक्यते 18, 478 मूळ धमतरोराचा -16, 434 | अनन्तनिहितानि खानि :-144, 156 | पैव स्वकर्मातकाल 1-14, 270 मूले तमुखदर धावति २-19, 212 | पचान इनिधि 1,515 | पोगतो हिमभते १.२५, 578 अगलमाणेन मुधिर 11-५८,655 | बछेकन दिने
2.254 | रोजानाति मुत्योचरमागते ३-14, 297 | बयेवला मम ९.१, 517 | यो दत्तवानिह मुमुक्षु २-५, 207 मेरुसिरे परशुमालिय 1-11,692 | माचो भिनपतेः ११-१, 849 | यो मात्र गोचरं मृत्योः १.२९, 281 मोक्ष पब सुख साक्षात् २२-५, 888 | चाम्सन बहिस्मित 11५५, 159 पो येनैव इतः १-२०, 27 मोक्षस कारणमनि- ५-१२, 210 | पाचन बहि:स्थित ५.१५,538 | पो हेवेवरबोधसंभृत 410,502 मोक्षेऽपि मोहादमिवाय- १-५५,55 बस्तु हेबमिवरण 1.15,586 मोहोपरतिभिता २५-1,895 | बस्वामनम्वगुण २१.२, 867
रक्षापोपविधी जनो २४८, 922 मोहमहाफनिको ५-१९, 720 | वहाकोकतर्विनिम्- 10-1,844 सायते परिणजोदि .१७५, 173 मोहबारभदेन संहति -14,118 | पखालिनो धनवतः 11, 234
रजाशिवासाशीमिः .२४, 24 मोहोचवविवाद- १२-1,890 | Nः कल्पयेकिमपि १-११५,125
रतिजलरममाणो 100, 176 म्हाने शासनाकुसा 11, 41 | पः कश्मिभिपुणो १-५, 518 रतिनिवेषविधौ २५-6, 938 महापकोकनदेऽपि 1-41,68 या कषायश्वनैः 10-20,584 रतिपक्षमाचर- १५,934 मानाप्यतिगावगाह- ८-१,494
रखनयपरिप्राप्तिः ३-५५, 451 पजामपि पुरिमामपि ...1, 548| यः शकपिण्डमपि -10, 208
जनयामके मागे , 899 पजायते किमपि4-111,161 यः सिरे परमात्मनि ८-२१, 509
रखनयाभरणवीर २५४, 252 पतीला मारकाणां च 4-6, 436 | मानाभिः सपनमहोत्सव -२३, 481 रखत्रवाश्मयः कार्यः १-२४, 424 एकमाणपरंपरार्पण- १५, 435 | पादुकविता १२५, 25 रखत्रवे तपसि पनि २१-१.,875 योऽपि मदमार्थ- १-२०, 225 | पासयपि वारश्यपि 11-11, 630 स्म्भातम्भमलाल १२-11, 672 मत्परदारावि १.१४,94 | बावन्मे लिखतिभोजमेऽस्ति 1-1,43 | रराज पामभवीर्षहत 1.1, 812

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