________________ (22) सेठियाजैनग्रन्थमाला 57 हवा मनुष्य का जीवन है, अन्न जल के विना केवल हवा से हम कई दिनों तक जीते रह सकते हैं, हवा के विना एक क्षण भी नहीं जी सकते, शुद्ध हवा से शरीर तन्दुरुस्त रहता है, औरगन्दी हवा से बीमारियाँ आती हैं; इसलिए मकान के पास कूड़ाकरकट, सड़ी गली चीजें नहीं डालनी चाहिए; क्योंकि इन से हवा बिगड़ती है ! जिस मकान में हवा के आने जाने के लिए खिड़किया हों और पूरा प्रकाश रहता हो उसी में रहना चाहिए। जिस मकान के आगे हरे हरे पौधे लगे रहते हैं, उस मकान की हवा गन्दी नहीं होती और उस मकान में बीमारी भी नहीं रहती / शरीर को तन्दुरुस्त रखने के लिए घुमना अत्यन्त आवश्यक है; बाहर मैदानों और बाग बगीचों की वायु स्वच्छ होती है इसलिए प्रातः काल और सायंकाल वायु- सेवन काना हितकारी है। अपनी शक्ति के अनुसार शीतल और मन्द हवा में घूमने से शरीर नीरोग रहता, भूख लगती, बल- बुद्धि और कान्ति बढ़ती है तथा इन्द्रिया सचेत तथा मस्तिष्क लाजा हो जाता है। तेज हवा में नहीं घूमना चाहिए, क्योंकि तेज " हवा से शरीर रूखा हो जाता और चेहरे की रंगत बिगड़ जाती है / 58 तन्दुरुस्ती का मूल कारण वीर्याक्षा है, जो मनुष्य अपने वीर्य की रक्षा भली भांति करता है,यह प्रायः नीरोग बलवान् बुद्धिमान और तेजस्वी होता है / वीर्य शरीर का राजा है। हम जो भोजन करते हैं, उससे क्रमशः रस, रक्त, मांस, मेद (चर्बी) अस्थि (हड्डी)