________________ नीति-शिक्षा-संग्रह का की प्रकृतिवाले और कफ के रोगी को संचल नमक सोंठ मिर्च और पीपल का चूर्ण मिलाकर पीने से बहुत फायदा होता है / जिस के चोट लगी है उस को, घाववाले को , मल से उत्पन्न हुई सूजन के रोग वाले को, श्वास के रोगी को, जिस का शरीर सूख कर दुर्बल हो गया है उस को , मूळ भ्रम उन्माद और प्यास के रोगी को , रक्त पित्त वाले को , राजयक्ष्मा (क्षयरोग) तथा उरःक्षत के रोगी को तरुण ज्वर और सन्निपात घर वाले को तथा वैशाख जेठ आश्विन और कार्तिक मास में छाछ नहीं पीनी चाहिए। .. 55 चैते गुड़ वैशाखे तेल, जेठे पन्थ अषाढ़े बेल | सावन दूध न भादो मही, कार करेला न कातिक दही // अगहन जीरो पूसे धना, माहे मिश्री फागुन चना। जो यह बारह देय अचाय, ता घर वैध कबहुँ नहि जाय / / 1 / / 56 घी- रसायन,नेत्रों के लिए हितकारी,मग्नि-दीपक,वीर्य को शीतल करने वाला विष-कुरूपता-वात और पित्त का नाशक,अभिव्यदि,कान्ति बल तेज और बुद्धि को बढ़ानेवाला,स्वर को सुन्दर करने वाला, मेवा को हितकारी, भारी, चिकना और कफ करनेवाला होता है / ज्यर, उन्माद, शूल, अफारा, फोड़ा, पाव, क्षय, विसर्प और रक्तविकार इन रोगों में घी लाभदायक है / राजयक्ष्मा कफ सम्बन्धी रोग, आम. ज्वर, हैजा, दरतकब्ज नशे से उत्पन्न हुए रोग और मन्दाग्नि इन रोगों में धी भूलकर भी न खाना चाहिए /