Book Title: Nisihajjhayanam
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
Publisher: Jain Vishva Bharati
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उद्देशक १ : सूत्र ५१-५६
गठियं करेति, करेंतं वा सातिज्जति ॥
५१. जे भिक्खू वत्थस्स परं तिन्हं फालिय-गंठियाणं करेति, करेंतं वा सातिज्जति ॥
५२. जे भिक्खू वत्थस्स परं तिन्हं फालिय-गंठीणं
संसिव्वेति,
संसिव्वंतं वा सातिज्जति ।।
५३. जे भिक्खू अतज्जाएणं गहेति, गतं वा सातिज्जति ॥
५४. जे भिक्खू अइरेगगहियं वत्थं परं दिवडाओ मासाओ धरेति, धरेंतं वा सातिज्जति ॥
अण्णउत्थिय-गारत्थिय-पदं
जे भिक्खू गिहधूमं अण्णउत्थि एण वा गारत्थिएण वा परिसाडावेति,
परिसाडावेंतं वा सातिज्जति ॥
५५.
१२
ग्रन्थिकां करोति, कुर्वन्तं वा स्वदते ।
तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घातियं ।।
यो भिक्षुः वस्त्रस्य परं तिसृणां स्फाटितग्रन्थिकानां करोति, कुर्वन्तं वा स्वदते ।
यो भिक्षुः वस्त्रस्य परं तिसृणां स्फाटितग्रन्थीनां संसीव्यति, संसीव्यन्तं वा स्वदते ।
यो भिक्षुः अतज्जातेन ग्रथ्नाति ग्रनन्तं वा स्वदते ।
भिक्षुः अतिरेकग्रथितं वस्त्रं परं द्व्यर्धात् (अर्द्धद्वितीयात्) मासात् धरति, धरन्तं वा स्वते ।
अन्ययूथिक - अगारस्थित पद
यो भिक्षुः गृहधूमम् अन्ययूथिकेन वा अगारस्थितेन वा परिशाटयति, परिशाटयन्तं वा स्वदते ।
पूतिकम्म-पदं
पूतिकर्म-पदम्
५६. जे भिक्खू पूतिकम्मं भुंजति, भुजंतं यो भिक्षुः पूर्तिकर्म भुङ्क्ते, भुञ्जानं वा वा सातिज्जति
स्वते ।
तत्सेवमानः आपद्यते मासिकं परिहारस्थानम् अनुद्घातिकम् ।
निसीहज्झयणं
अथवा लगाने वाले का अनुमोदन करता
है।
५१. जो भिक्षु फटे वस्त्र के तीन से अधिक गांठ लगाता है अथवा लगाने वाले का अनुमोदन करता है।
५२. जो भिक्षु तीन से अधिक गांठ वाले फटे वस्त्र को सीता है अथवा सीने वाले का अनुमोदन करता है।
५३. जो भिक्षु अतज्जात वस्त्र से दूसरे वस्त्र गूंथा है अथवा गूंथने वाले का अनुमोदन करता है। १६
५४. जो भिक्षु अतिरेकग्रथित वस्त्र को डेढ़ मास से अधिक रखता है अथवा रखने वाले का अनुमोदन करता है। ७
अन्यतीर्थिक- अगारस्थित पद
५५. जो भिक्षु अन्यतीर्थिक अथवा गृहस्थ से गृहधूम को उतरवाता है अथवा उतरवाने वाले का अनुमोदन करता है। "
पूतिकर्म-पद
५६. जो भिक्षु पूतिकर्म १९ का भोग करता है। अथवा भोग करने वाले का अनुमोदन करता है।
- इनका आसेवन करने वाले को अनुद्घातिक २० (गुरु) मासिक परिहारस्थान२१ (प्रायश्चित्त) प्राप्त होता है।