Book Title: Nisihajjhayanam
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
Publisher: Jain Vishva Bharati
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निसीहज्झयणं
प्रश्नचिह्न लग जाता है। यदि सूर्योदय से पूर्व परिष्ठापन को निषिद्ध माना जाए तो सूर्यास्त से पूर्व उच्चार - प्रखवण के परिष्ठापन हेतु स्थंडिल का प्रतिलेखन करना भी निरर्थक हो जाता है। पात्र में विसर्जित उच्चार आदि में जीवोत्पत्ति होने से संयम विराधना तथा सूत्र की अस्वाध्यायी का भी प्रसंग आता है।
अतः प्रस्तुत वाक्यांश का अर्थ कालसूचक न कर स्थानसूचक करना युक्तिसंगत प्रतीत होता है। अर्थात् ऐसा स्थान जहां सूर्य न उगता हो, जहां सूर्य का प्रकाश एवं धूप नहीं पहुंचती हो, वहां
१. नि. हुंडी ३१८०
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उद्देशक ३ : टिप्पण परिष्ठापन करना सदोष है । श्रीमज्जयाचार्य कृत हुंडी से भी इसी तथ्य की पुष्टि होती है
'रात्रि विकाले उच्चार पासवण री बाधा इ पीड्यौ थको साध आपणा पात्र विषै उच्चार पासवण परठी करी नै तावड़ो न आवै त्यां नाखे।"
शब्द विमर्श
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१. उब्बाहिज्जमाण – वेग से अत्यधिक बाधित होना । २. एड्-छोड़ना, त्याग करना, दूर करना ।
२. दे. श. को. ।