Book Title: Nisihajjhayanam
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
Publisher: Jain Vishva Bharati
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उद्देशक १६: सूत्र ३९-४५
आसावणा-पदं
३९. जे भिक्खू आयरिय-उवज्झायाणं सेज्जा - संथारयं पाएणं संघट्टेत्ता हत्थेणं अणणुण्णवेत्ता धारयमाणो गच्छति, गच्छंतं वा सातिज्जति ।।
अतिरित्तउवहि-पदं
४०. जे भिक्खू पमाणातिरित्तं वा गणणातिरितं वा उवहिं धरेति, धरेंतं वा सातिज्जति ।।
उच्चार पासवण पदं
४१. जे भिक्खू अणंतरहियाए पुढवीए उच्चार- पासवणं परिद्ववेति, परिट्ठवेंतं वा सातिज्जति ।।
४२. जे भिक्खू ससिणिद्धाए पुढवीए उच्चार- पासवणं परिद्ववेति, परिद्ववेंतं वा सातिज्जति ।।
४३. जे भिक्खू ससरक्खाए पुढवीए उच्चार- पासवणं परिट्ठवेति, परिट्ठवेंतं वा सातिज्जति ।
४४. जे भिक्खू मट्टिवाकडाए पुढवीए उच्चार पासवणं परिद्ववेति परिदुवेंतं वा सातिज्जति ॥
४५. जे भिक्खू चित्तमंताए पुढवीए उच्चार पासवणं परिद्ववेति परिडुवैतं वा सातिज्जति ।।
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आशातना-पदम्
यो भिक्षुः आचार्योपाध्यायानां शय्यासंस्तारकं पादेन संघट्य हस्तेन अननुज्ञाप्य प्रियमाणः गच्छति गच्छन्तं वा स्वदते ।
अतिरिक्तोपधि-पदम्
यो भिक्षुः प्रमाणातिरिक्तं वा गणनातिरिक्तं वा उपधिं धरति धरन्तं वा स्वदते ।
उच्चारप्रस्रवण-पदम्
यो भिक्षुः अनन्तर्हितायां पृथिव्याम् उच्चारप्रस्रवणं परिष्ठापयति, परिष्ठापयन्तं वा स्वदते ।
यो भिक्षुः सस्निग्धायां पृथिव्याम् उच्चारप्रस्रवणं परिष्ठापयति, परिष्ठापयन्तं वा स्वदते ।
यो भिक्षुः ससरक्षायां पृथिव्याम् उच्चारप्रस्रवणं परिष्ठापयन्तं वा स्वदते।
परिष्ठापयति,
यो भिक्षुः मृत्तिकाकृतायां पृथिव्याम् उच्चारप्रसवणं परिष्ठापयति, परिष्ठापयन्तं वा स्वदते ।
यो भिक्षुः चित्तवत्यां पृथिव्याम् उच्चारप्रसवर्ण परिष्ठापयति, परिष्ठापयन्तं वा स्वदते ।
निसीहज्झयणं
आशातना-पद
३९. जो भिक्षु आचार्य उपाध्याय के शय्यासंस्तारक का पैरों से संघट्टन कर हाथ से स्पर्श कर नमस्कार किए बिना, मिच्छामि दुक्कडं किए बिना जाता है अथवा जाने वाले का अनुमोदन करता है।
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अतिरिक्त उपधि पद
४०. जो भिक्षु प्रमाणातिरिक्त अथवा गणनातिरिक्त उपधि को धारण करता है। अथवा धारण करने वाले का अनुमोदन
करता है।
उच्चार-प्रस्रवण-पद
४१. जो भिक्षु अव्यवहित पृथिवी पर उच्चारप्रस्रवण का परिष्ठापन करता है अथवा परिष्ठापन करने वाले का अनुमोदन करता है।
४२. जो भिक्षु सस्निग्ध पृथिवी पर उच्चारप्रस्रवण का परिष्ठापन करता है अथवा परिष्ठापन करने वाले का अनुमोदन करता है।
४३. जो भिक्षु सरजस्क पृथिवी पर उच्चारप्रस्रवण का परिष्ठापन करता है अथवा परिष्ठापन करने वाले का अनुमोदन करता है ।
४४. जो भिक्षु सचित मिट्टी युक्त पृथिवी पर उच्चार- प्रस्रवण का परिष्ठापन करता है। अथवा परिष्ठापन करने वाले का अनुमोदन करता है।
४५. जो भिक्षु सचित पृथिवी पर उच्चारप्रस्रवण का परिष्ठापन करता है अथवा परिष्ठापन करने वाले का अनुमोदन करता है।