Book Title: Nisihajjhayanam
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
Publisher: Jain Vishva Bharati
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मूल
विण्णवण - पदं
१. जे भिक्खू माउग्गामं मेहुण- वडियाए विण्णवेंतं
विण्णवेति,
वा
सातिज्जति ॥
हत्थकम्मपदं
२. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए हत्थकम्मं करेति, करेंतं वा सातिज्जति ॥
३. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अंगादाणं कट्ठेण वा कलिंचेण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा संचालेति, संचालेंतं वा सातिज्जति ॥
४. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण - वडियाए अंगादाणं संवाहेज्ज वा पलिमद्देज्ज वा, संवाहेंतं वा पलिमद्देतं वा सातिज्जति ।।
५. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अंगादाणं तेल्लेण वा घण वा वसाए वा णवणीएण वा अब्भंगेज्ज वा मक्खेज्ज वा, अब्भंगत वा मक्खेंतं वा सातिज्जति ॥
छट्टो उद्देसो : छठा उद्देशक
संस्कृत छाया
विज्ञपन-पदम्
यो भिक्षुः मातृग्रामं मैथुनप्रतिज्ञया विज्ञपयति, विज्ञपयन्तं वा स्वदते ।
हस्तकर्म-पदम्
यो भिक्षुः मातृग्रामस्य मैथुनप्रतिज्ञया हस्तकर्म करोति, कुर्वन्तं वा स्वदते ।
यो भिक्षुः मातृग्रामस्य मैथुनप्रतिज्ञया अंगादानं काष्ठेन वा किलिञ्चेन वा अंगुलिकया वा शलाकया वा सञ्चालयति, सञ्चालयन्तं वा स्वदते ।
यो भिक्षुः मातृग्रामस्य मैथुनप्रतिज्ञया अंगादानं संवाहयेद् वा परिमर्दयेद् वा, संवाहयन्तं वा परिमर्दयन्तं वा स्वदते ।
यो भिक्षुः मातृग्रामस्य मैथुनप्रतिज्ञया अंगादानं तैलेन वा घृतेन वा वसया वा नवनीतेन वा अभ्यञ्ज्याद् वा प्रक्षेद् वा, अभ्यञ्जन्तं वा प्रक्षन्तं वा स्वदते ।
हिन्दी अनुवाद
विज्ञापन पद
१. जो भिक्षु मातृग्राम (स्त्री) को अब्रह्मसेवन के संकल्प से प्रार्थना करता है अथवा प्रार्थना करने वाले का अनुमोदन करता है।
हस्तकर्म-पद
२. जो भिक्षु स्त्री को हृदय में स्थापित कर (स्त्री के प्रति आसक्त हो कर ) अब्रह्मसेवन के संकल्प से हस्तकर्म करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता है।
३. जो भिक्षु स्त्री को हृदय में स्थापित कर अब्रह्म सेवन के संकल्प से अंगादान को काष्ठ, किलिंच अथवा शलाका से संचालित करता है अथवा संचालित करने वाले का अनुमोदन करता है।
४. जो भिक्षु स्त्री को हृदय में स्थापित कर अब्रह्म सेवन के संकल्प से अंगादान का संबाधन करता है अथवा परिमर्दन करता है और संबाधन अथवा मर्दन करने वाले का अनुमोदन करता है।
५. जो भिक्षु स्त्री को हृदय में स्थापित कर अब्रह्म सेवन के संकल्प से अंगादान का तेल, घृत, वसा अथवा मक्खन से अभ्यंगन करता है अथवा प्रक्षण करता है और अभ्यंगन अथवा म्रक्षण करने वाले का अनुमोदन करता है।