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श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम्.: एक अध्ययन रचयिता : रचनाकाल
इस काव्य के रचयिता सूराचार्य हैं । (रचनाकाल अनुपलब्ध है) २५. नेमिद्विसंधान हिमचन्द्रसरि)
इस सन्धान के कर्ता अजितदेव के शिष्य हेमचन्द्रसूरि हैं। २६. नेमिनाथपुराण (भागचन्द्र) रचयिता : रचनाकाल
पण्डित भागचन्द्र द्वारा रचित नेमिनाथपुराण उपलब्ध है। इनका रचनाकाल १९ वीं शताब्दी का अन्त तथा बीसवीं शताब्दी का प्रथम भाग है । ये संस्कृत तथा हिन्दी दोनों भाषाओं के मर्मज्ञ विद्वान थोर २७. नेमिनाथचरित (उदयप्रभ)
सन् १२९९ के लगभग नागेन्द्रगच्छ के विजयसूरि के शिष्य उदयप्रभ ने भी २१०० ग्रन्थ प्रमाण नेमिनाथचरित की रचना की ।' २८. नेमिभक्तामरकाव्य (प्राणप्रियकाव्य) (रतनसिंहसरि)
___ यह काव्य नेमि राजीमती की स्तुति में रचा गया काव्य है । इसमें ४९ पच है । इस काव्य का दूसरा नाम प्राणप्रिय काव्य भी है। रचयिता : रचनाकाल
यह काव्य धर्मसिंह के शिष्य रत्नसिंहसूरि कृत है । (रचनाकाल अनुपलब्ध है) २९. नेमिचरित्र स्तोत्र दिवेन्द्रसूरि)
यह देवेन्द्रसूरि कृत नेमिनाथ पर रचित स्तोत्र है । (रचनाकाल अनुपलब्ध है) ३०. समामृत (रलसिंह)
यह एक नेमिनाथ पर आधारित एकांकी छाया नाटक है । इसकी प्रस्तावना में कहा गया है - भगवतः श्रीनेमिनाथस्य यात्रा महोत्सवे विद्वद्भिः सभासद्भिरादिष्टोऽस्मि । यथा नेमिनाथस्य समामृतं नाम छाया नाटक अभिनयस्वेति । रचयिता : रचनाकाल
इस एकांकी के रचयिता का नाम रत्नसिंह है । यद्यपि कर्ता ने अपना समय व अन्य परिचय नहीं दिया है पर सम्भव है कि ये नेमिनाथचरित पर आधारित प्राणप्रियकाव्य के कर्ता हों। ३१. पाण्डवचरित (दवप्रभसूरिमलधारिगच्छ)
___ यह चरित्रकाव्य जैन परम्परा के अनुसार वर्णित है । पाण्डवों के चरित्र के साथ-साथ नेमिनाथ का चरित्र भी स्वतः ही आ गया है ।
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१. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-६, पृ० - ११५ २. तीर्थर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, भाग-४, पृ० २९७२९८ ३. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-६, पृ० -११५.
४. वही, पृ०-५६७ ५. वही, पृ० -५८९
ही, पृ०-४९