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अध्याय - पाँच
नेमिनिर्वाण में वर्णनवैचित्र्य
प्रकृति का चित्रण काव्य का अनिवार्य तत्त्व है । इसी हेतु सभी कवियों ने अपने काव्य में प्रकृति चित्रण अपनाया है ।
महाकवि वाग्भट का वर्णन वैचित्र्य अनुपम है। वर्णन में कवि ने विभिन्न आयामों को चित्रित कर वर्णन-साफल्य स्थापित किया है ।
कवि ने नेमिनिर्वाण काव्य में वर्णन चमत्कार के सृजन के लिये वस्तुओं का चित्रण सुन्दर रूप में किया है । प्रस्तुत काव्य घटना प्रधान न होते हुये भी अलंकृत वर्णनों की प्रधानता से युक्त है । देश, नगर, सन्ध्या, चन्द्रोदय, रात्रि, प्रभात, सूर्योदय, वन, नदी, पर्वत, समुद्र, द्वीप और प्राकृतिक वस्तुओं का वर्णन सांगोपांग तथा अलंकृत है।
देश वर्णन :
महाकवि वाग्भट ने सुराष्ट्र देश की स्थिति और वहाँ की उर्वरा पृथ्वी का बड़ा ही व्यवस्थित चित्रण किया है ।
देवताओं के निवास की तरह सुराष्ट्र नाम से प्रसिद्ध रमणीय देश है, जिसमें कृषि उत्तम तिलों वाली और स्त्री सुन्दर केशों वाली एवं स्वभाव से ही मधुर हैं। ओस के बिन्दुओं के हार के समान चारों दिशाओं में फैले हुए गायों के समूहों से जो देश अपने वैभव के अभिमान से दूसरे देशों की अवज्ञा से मानों हँसी उड़ाता है। जहाँ पर निर्मल जल वाले तालाब प्रकाशित होते हुए सुन्दर पत्तों वाली लताओं के हरितवर्ण उत्तरीय से युक्त वनवास को धारण करने वाली पृथ्वी के विलासों के दर्पण को धारण करते हैं । जहाँ पर खेतों में नेत्रों से तिरस्कृत थकावट को प्राप्त मिलकर उपद्रव के लिये आये हुए मृगों के समूह को गोपियाँ गीत के गुणों से निरन्तर रोक लेती हैं । जहाँ पर हिम के समान श्वेत वर्ण वाले अर्जुन वृक्षों से युक्त हरी भरी भूमियाँ बलाकाओं के आकाश से गिरते हुए बादलों की तरह मालूम पड़ती हैं ।
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(जो सुराष्ट्र देश) ऋषभ नामक स्वर विशेष से सुन्दर ग्राम स्वरों के समुदाय से विराजित गुरुतर श्रेष्ठ अथवा बड़ी बड़ी तन्त्रियों के सन्निवेश से युक्त तथा सरस्वती देवी के समीप में स्थित उसके हाथ से विलसित मनोहर, भाष्ययुक्त, विशाल घोषवती वीणा को धारण करते
हैं । अर्थात जिस देश के मनुष्य हर वस्तु की चिन्ता से रहित होकर हाथ में वीणा धारण कर
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