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नेमिनिर्वाण : दर्शन एवं संस्कृति - संस्कृति आजीविका के साधन :
जीवन को चलाने के लिए आजीविका का सुचारु और सुदृढ़ होना परमावश्यक है। अतः सामाजिक जीवन में आजीविका के साधन जुटाना अपेक्षित है नेमिनिर्वाण कालीन समाज में आजीविका के साधनों में कृषि ही एक मात्र साधन था । वहाँ पर विशेष वर्ग कृषि आश्रित था । कृषि में उत्तम तिलों की खेती होती थी। तिलों के अतिरिक्त अन्य अनाज भी उत्पन्न होते थे। वाहन :
नेमिनिर्वाण में निम्नलिखित वाहनों का उल्लेख मिलता है । नाव', स्यन्दन', विमान, स्थ आदि । आभूषण :
__ आभूषणों के प्रति भारतीयों का हृदय सर्वाधिक आकर्षित रहा है । यहाँ मनुष्यों ने आभूषणों का प्रयोग सामाजिक सम्पन्नता के प्रतीक के रूप में तथा सुसंस्कृत जीवन के लिए शरीर को सज्जित करने आदि रूपों में किया है । आभूषणों के द्वारा व्यक्ति के सौन्दर्य में वृद्धि होती है । अतः मनुष्य ने प्रति अंग के लिए भिन्न भिन्न आभूषणों की रचना की है। नेमिनिर्वाण में स्त्रियों और पुरुषों के आभूषण प्रायः समान माने गये हैं जैसे - गले में माला, हार तथा कानों मे कुण्डल, मुद्रिका तथा सिर पर मुकुट आदि धास्ण करना (स्त्री-पुरुष) दोनों के द्वारा प्रयोग किया जाता था ।
नेमिनिर्वाण में निम्नलिखित आभूषणों का उल्लेख मिलता है जो क्रमशः इस प्रकार है शिरोभूषण :
सिर के आभूषणों में मुख्य रूप से मुकुट किरीट का उल्लेख है । मुकुट मणियों से बनाये जाते थे और उनमें हीरे जड़े होते थे । इनका प्रचलन विशेष रूप से राज परिवारों में होता था । यह राजा का विशेष चिह्न होता था । सिर पर चूड़ामणि धारण की जाती थी। इसका प्रयोग स्त्रियाँ अपने बालों को बांधने में करती थी । चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में एक रत्नचूड़ामणि नामक रत्न भी होता था ।
इसके अतिरिक्त गर्मी को रोकने के लिए सिर पर छत्र का प्रयोग किया जाता था जिसको आतपत्र धर्मवारण अथवा आतपवारण भी कहते थे । १. नेमिनिर्वष १/२
२. वही, १/५ ३. वही,१/५२,५/३१,३४,६/१४ ४. वही, ४/३६, ३८,५/३० ५. वही, २/१७
६. वही, १/१ ७. वही,१/७२,१२/६
८. वही, ३/२५ ९. वही,१/६३
१०. वही, २/३५ ११. वही,१२/२०