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श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन वाग्भट का वीरनन्दि पर प्रभाव :
वीरनन्दि कृत चन्द्रप्रभचरित पर वाग्भट की शैली का पर्याप्त प्रभाव है । वीरनन्दि ने भी वाग्भट के ही समान एक सर्ग में अनेक छन्दों का विवेचन करके अपना छन्दःकौशल प्रकट किया है। उनके चन्द्रप्रभचरित पर वाग्भटकृत नेमिनिर्वाण का अत्यन्त प्रभाव है । चन्द्रप्रभचरित का कथानक भी नेमिनिर्वाण के समान उत्तरपुराण से लिया गया है। तीर्घरोत्पत्ति, जन्मकल्याणक, संसार की अनित्यता, तपग्रहण, दार्शनिक उपदेश आदि में वीरनन्दि ने वाग्भट का अनुकरण किया है। वाग्भट का मुनि ज्ञानसागर पर प्रभाव :
सुदर्शनोदय के “वीरप्रभुः स्वीयसुबुद्धिनावा भवाब्धितीरं गमित-प्रजावान्॥२ श्लोक पर नेमिनिर्वाण के “अपारसंसारसमुद्रनावं देयाद्दयालुः सुमतिर्मतिं नः” का प्रभाव जान पडता है।
उक्त विवेचन से स्पष्ट है कि महाकवि वाग्भटकृत नेमिनिर्वाण पर कालिदास, कुमारदास, भारवि, माघ, हरिचन्द्र आदि का प्रभाव है । इसके अतिरिक्त भर्तृहरिकृत शतकत्रय एवं नीति प्रधान आख्यान साहित्य का भी प्रभाव परिलक्षित होता है । परवर्ती कवियों में चन्द्रप्रभचरित के रचयिता वीरनन्दि तथा सुदर्शनोदय आदि काव्यों के प्रणेता मुनि ज्ञानसागर जी वाग्भट कृत नेमिनिर्वाण से प्रभावित हैं ।
१. द्रष्टव्य - जैन साहित्य का बृहद इतिहास भाग ६ पृ०४८४ २. सुदर्शनेदय, ११ ३. नेमिनिर्वण,१/५