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श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन कर्णाभूषण :
कान का सामान्य आभूषण कुण्डल है जो एक भारी या घुमाव दार लटकने वाला गहना होता है । ये मोतियों और रत्नों के बनाये जाते हैं । जरा भी शरीर संचलन से हिलने जुलने लगते हैं। कुण्डल शब्द संस्कृत के कुण्डलिन् (साँप का कुंडली में रहना) से सम्बद्ध है । नेमिनिर्वाप में इस प्रकार के आभूषणों जैसे मणिकर्णपूर, कर्णोत्पल', कुण्डल', रत्नकुण्डल, मणिकुण्डल', अवन्तस (अवन्तस प्रायः फूलों के होते थे) कर्णाभरण' का भी प्रयोग हुआ है । कण्ठाभूषण :
कण्ठाभूषणों में हार प्रमुख है । इसे मोतियों और रत्नों से बनाया जाता है । इसे मुक्तावली भी कहा जाता है । इसके अतिरिक्त सक्', माला, का भी प्रयोग हुआ है । माला को अनेक भारतीय भावनाओं से ग्रन्थन किया जाता था । प्रत्येक मांगलिक कार्य में माला का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है । ये मालायें विशेष रूप से पुष्प निर्मित होती हैं, सोने, मोती आदि की भी हुआ करती हैं। ____ इसके अतिरिक्त उरुहारतथा अतिहार अंगहार मौक्तिकदाम आदि अलंकारों का प्रयोग भी हुआ है। कराभूषण :
हाथ के आभूषणों में कंकण और केयूर का वर्णन हुआ है । ये भी रत्नों और मणि तथा सोने चाँदी इत्यादि के बनाये जाते हैं । केयूर को भुजबन्द या अंगद भी कहते हैं ।
इसके अतिरिक्त कटि के आभूषणों में स्त्री की करधनी के लिए नेमिनिर्वाण में कांची का प्रयोग हुआ । आभूषण के रूप में तो यह आभूषण था ही अधोवस्त्र को यथास्थान रखने में भी यह सहायक होती है।
पैरों के आभूषणों के रुप में नेमिनिर्वाण में एकमात्र नूपुर का उल्लेख हुआ है। - इसके अतिरिक्त शरीर में सौन्दर्य बढ़ाने वाले (लगाये जाने वाले) सुगन्धित द्रव्यों में पद्मरागार, कर्पूर", कालेयक", अंजन२२, धूप, कज्जल", कुसुम-प्रसाधन२५, केसर, अंगराग, कस्तूरी२८, आदि का प्रयोग मिलता है। १. नेमिनिर्वाण, १/३९ २. वही, १/४४
३. वही,१/५२,५६ ४. वही, २/५,१२/४ ५. वही, ६/३५
६. वही,१०/५,१०/१४ ७. वही, ८/२७
८. वही,१/२९,८३,८/२१,१२/२ ९. वही,११२
१०. वही,१/४,८९४, २१ ११. वही, ८८ १२. वही,१/७० १३. वही,१/८२
१४. वही,७/१३ १५. वहीं, २/५,३६,१२/३ १६. वहीं,१२/३८
१७. वही,१/५९ १८. वही,८/२,८९२ १९. वहीं,१/१२
२०. वही, १/४२ २१. वही,१/४२ २२. वही,१/४९
२३. वहीं,१/५४ २५. वही, ४/१०
२६. वही, ८/२२ २७. वही;८/५१,५९
२८. वहीं,८/५४,५७,११/२३
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२४. वहीं,१/७४