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नेमिनिर्वाण : दर्शन एवं संस्कृति - संस्कृति
२०९ (८) मृत्यु संस्कार :
नेमिनिर्वाण में स्पष्ट रूप से यह संस्कार नहीं मिलता है।
इस प्रकार नेमिनिर्वाण में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न संस्कारों का उल्लेख हुआ है। इससे स्पष्ट होता है कि जैनों ने भी इन संस्कारों की सामाजिक महत्ता को स्वीकार किया है। मनोवैज्ञाजिक धारणाओं के अनुसार भी मात की भावनाओं का गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव पड़ता है। गर्भकालीन संस्कारों में माता को प्रसन्न रखने की भावना निहित है, ताकि गर्भस्थ शिशु पर अच्छा प्रभाव पड़े। यर्मोत्तरकालीन संस्कारों के द्वारा बालक के अर्द्धचेतन मस्तिष्क में प्रभाव डालने की भावना रहती है। विवाह या दार कर्म संस्कार संतानोत्पत्ति के साथ ही कामवासना को सीमित करने का साधन भी है। अतः मनोवैज्ञानिक दृष्टि से इन संस्कारों का विशेष महत्त्व है। मनोरंजन के साधन : संगीत, वाद्य और नृत्य
विभिन्न प्रकार की कलाओं में संगीत कला का भी अपना विशेष महत्त्व है । संगीत के अन्तर्गत गीत, नृत्य और वाद्य इन तीनों को ग्रहण किया जाता है :
नेमिनिर्वाण के प्रथम सर्ग में द्वारवती में मृगों के समूह को गोपियाँ अपने गीतों के गुणों से निरन्तर रोक लेती हैं तथा जहाँ पर निरन्तर स्त्रियों के गानों में कान लगाये हुये क्रीडा मृग अपने वियोग के दुःख को भूल जाते थे । नेमिनिर्वाण में ताण्डव, लास्य आदि नृत्यों के नाम उल्लिखित हुये हैं।
सनी शिवा देवी की सेवा करने वाली दिव्यांगनाओं ने विभिन्न प्रकार के कोमल नृत्यों के द्वारा रानी की पूजा की ।
वास्तव में वाद्य के बिना गीत और नृत्य का कोई अस्तित्व नहीं है । वाद्य से सम्पृक्त होने पर ही नृत्य और गीत की शोभा बढ़ती है । नेमिनिर्वाण में विभिन्न उत्सवों पर विभिन्न वाद्य बजाये गये हैं जो इस प्रकार हैं - वल्लकी', पटह', दुन्दुभि", शंख", ताल', आतोद्य, तुयी।
इसके अतिरिक्त मनोरंजन के साधनों में अभिनयक्रियार, दोला२, चित्रदर्शन तथा विभिन्न ललित क्रियायें थी। १. मिनिर्वाप,१/३१, ४०
__ वही, १/६१ ३. वहीं, २०४० ५. वही, १/३९, २/३९,१०/६
वही, २/६०,४/३०,५४ ७. वही, ४२७
वही,१०/६ ९. कही,१२१५
वही,१२/२६,१२/४० ११. वही,१/४६
वही,१/७२ १३. वहीं, २/५८
वहीं,१/२५