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नेमिनिर्वाण : दर्शन एवं संस्कृति - संस्कृति
२०७ श्रृंगार करने तथा आभूषण पहनने के लिए मणियों के दर्पण', श्रृंगार मंडप तथा साधारण दर्पणों का प्रयोग होता था । वस्त्र:
नेमिनिर्वाण में वस्त्रों का विशेष वर्णन या नाम उल्लेख नहीं हुआ है । फिर भी उत्तरीय, । वसन', तथा नेपथ्य आदि नाम उल्लिखित हैं ।
वस्त्रों के नाम से जान पड़ता है कि सूती और रेशमी दोनों वस्त्रों का प्रयोग तत्कालीन समाज करता था । वस्त्र के लिए नेपथ्य शब्द का प्रयोग विशेष ध्यातव्य है । सामान्यतः ऊर्ध्ववस्त्र व अधोवस्त्र दोनों प्रकार के वस्त्रों का प्रयोग किया जाता था। शिक्षा :
शिक्षा का मूल उद्देश्य विनय की प्राप्ति थी । नेमिनिर्वाण में कहा गया है कि नेमि कुमार गुरु की शिक्षा से विनय को प्राप्त हो गये । शिक्षा में सभी प्रकार के शास्त्रों का अध्ययन कराया जाता था । शास्त्रविद्या के साथ शस्त्रविद्या भी कराई जाती थी। संस्कार :
संस्कार से तात्पर्य उन धार्मिक कृत्यों से है जो व्यक्तित्व की शुद्धि के लिए आवश्यक माना जाता है । मिनिर्वाण में विभिन्न संस्कारों का विवेचन हुआ है । (१) पुंसवन :
यह एक गर्भकालीन संस्कार है । गर्भधारण के निश्चय के बाद गर्भस्थ शिशु को इस संस्कार के द्वारा अनुष्ठानित किया जाता है । इस संस्कार मे पुंसन्तति होने की भावना निहित रहती है । यह संस्कार गर्भावस्था के तीसरे माह में किया जाता है । नेमिनिर्वाण में रानी शिवा देवी की गर्भावस्था के बाद पुंसवन नामक संस्कार का उल्लेख मिलता है । रानी शिवा देवी ने उस विशाल गर्भ को धारण करने में असमर्थ रत्ननिर्मित आभूषणों को छोड़कर अनेक रंगो वाले फूलों के प्रसाधनों को धारण किया तथा उस समय राजा समुद्रविजय ने, जिन पुंसवन आदि संस्कारों की इच्छा की । इन्द्र ने देवताओं के समूह के साथ वहाँ आकर उन क्रियाओं को पूर्ण किया । (२) सीमन्तोन्नयन संस्कार :
___ यह भी गर्भस्थकालीन संस्कार है । यह संस्कार गर्भधारण के सातवें माह मे होता है। कुछ अमंगलकारिणी शक्तियाँ गर्भिणी स्त्री को परेशान करती हैं । उन्हीं शक्तियों को हटाने या शान्त करने के लिए यह संस्कार किया जाता है । यद्यपि इस संस्कार का स्पष्ट रूप से १. नेमिनिर्वप, २/४२
२. वही, ३/३२
३. वहीं, ८/७० ४. वही,१/३०
५. वही,१०/४०,१२/३९ ६. वही, १२/१ ७. वही, ६/९
८. वही,६/१२
९. वही, ४/१०,११