Book Title: Nemi Nirvanam Ek Adhyayan
Author(s): Aniruddhakumar Sharma
Publisher: Sanmati Prakashan

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Page 208
________________ अध्याय (ख) नेमिनिर्वाण : दर्शन एवं संस्कृति संस्कृति तत्कालीन संस्कृति की अमिट छाप उस समय के साहित्य पर पड़ना स्वाभाविक ही है क्योंकि लेखक अथवा कवि एक युग निर्माता होता है । वह पूर्णरूप से संस्कृति से जुड़ा होता है । महाकवि वाग्भट अपने युग के एक सजग प्रहरी हैं, जिन्होंने अपने काव्य नेमिनिर्वाण में अनेक सांस्कृतिक तथ्यों को प्रस्तुत किया है । कवि ने जीवन का सभी दृष्टियों से विवेचन प्रस्तुत किया है । द्वीप, क्षेत्र, जनपद, पर्वत, नदियाँ, वृक्ष पुष्प, पशु, पक्षी, नगर, ग्राम, भवन, व्यवसाय, शिक्षा, परिवार आदि का वर्णन नेमिनिर्वाण में हुआ है । जिनका संक्षेप में सांस्कृतिक विश्लेषण प्रस्तुत है। साहित्य में सांस्कृतिक परिवेश का अति महत्त्व है । इसके अर्न्तगत समाज, उसका, रहन-सहन, आचार-विचार, राजनीति, अर्थनीति, तथा अन्य सभी पहलू विचारणीय होते हैं । अतः कवि के लिए भूगोल का ज्ञान उसके काव्याध्ययन के लिए अपरिहार्य है। द्वीप: नेमिनिर्वाण में जम्बूद्वीप का उल्लेख जैन परम्परा के अनुसार ही हुआ है ।। यह द्वीप लवण समुद्र से घिरा है और इसके बीच में सुमेरु पर्वत है। इसमें जम्बू वृक्ष होने के कारण इस द्वीप का नाम जम्बूद्वीप पड़ा है । इसका विस्तार एक लाख योजन तथा परिधि तीन लाख सोलह हजार दो सौ सत्ताईस योजन तीन कोस एक सौ अट्ठाईस धनुष साढे तेरह अंगुल बताई है । इसका घनाकार क्षेत्र सात सौ नब्बे करोड़ छप्पन लाख चौरानवें हजार एक सौ पचास योजन है। पुष्कराई द्वीप : नेमि निर्वाण में यह पुष्करार्द्ध द्वीप नाम आया है। इस द्वीप का पुष्कर द्वीप अथवा पुष्करार्ध ये दोनों ही नाम आये हैं। इसका आकार चूड़ी के समान है । इसमें पर्वत और नदियाँ बड़ी विशाल हैं । बीच में पुष्कर वृक्ष होने से इसका यह नाम पड़ा। इसके बीचों बीच मानुषोत्तर पर्वत होने से यह दो भागों में बँट गया है। अतः आधे द्वीप को पुष्करार्ध यह नाम प्राप्त हुआ है। पर्वत : . सांस्कृतिक उपादानों के अन्तर्गत पर्वतों का बड़ा की महत्त्व है । देश की सीमाओं की रक्षा की दृष्टि से तथा जलवायु तथा प्राकृतिक वातावरण में पर्वतों का बड़ा योग होता है । ये देश की सीमा पर प्रहरी के समान कार्य करते हैं । १. मिनिषि, ५/५८,१३/६५ २.आदिपुराण में प्रतिपादित भारत पृ० ४१ ३. मिनिर्वाण, १३/५२ ४. यत्र जम्बूवृक्षस्तव पुष्करं सपरिवारम् तत् एव अस्य द्वीपस्य नाम रूढं पुष्करद्वीप इति ..... मनुषोत्तरशैलेन विभक्तार्धव्यात्पुष्कराध संज्ञा सर्वार्थसिद्धि ३.३४ सूत्र की व्याख्या ।

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