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श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन थी। हस्तिनापुर वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में है, जो जैनधर्मानुयायियों का प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र है । यहाँ १६ वें शान्तिनाथ, १७ वें कुन्थुनाथ और १८ वें अरनाथ तीर्थङ्करों का जन्म हुआ था । ये तीनों पांचवें छटे और सातवें चक्रवर्ती भी थे ।
इसके अतिरिक्त अमरावती, अवापुर तथा अमरनगर नामों का उल्लेख मिलता है। द्वारका पुरी :
सुराष्ट्र जनपद की राजधानी द्वारका पुरी थी जो नेमिनाथ की जन्मभूमि है । नेमिनिर्वाण मे द्वारका पुरी का अनेकधा वर्णन हुआ है जो प्रसंगवश पहले अध्याय में दिया जा चुका है। सिंहपुर :
___ जम्बू द्वीप में सिंहपुर नाम का एक नगर है । इस जनपद के गाँव में भगवान नेमिनाथ पूर्वजन्म में उत्पन्न हुये। श्रीगान्धिल :
यह सिंहपुर जनपद का एक गाँव है जहाँ पर भगवान नेमिनाथ के पूर्वजन्म का उत्पन्न होना माना गया है। आवास :
नेमिनिर्वाण में विविध आवासों का वर्णन हुआ है । हर्म्य :
हर्म्य को सात मंजिल वाला भवन कहा है । हर्म्य की छत बहुत ऊँची होती थी । महाकवि कालिदास ने अपने मेघदूत काव्य में हर्म्य का निर्देश किया है । हर्म्य ऊँची अट्टालिका वाले ऐसे भवन थे जिनमें कपोत भी निवास करते थे । अमर कोष में धनिकों के भवन को हर्म्य कहा है।
नेमिनिर्वाण में द्वारकापुरी को विभिन्न हों वाली कहा गया है । प्रासाद :
प्रासाद रचना वास्तुकला का एक महत्त्वपूर्ण अंग है । प्रासाद शब्द साधारणतः राजाओं के महलों के लिए प्रयोग किया जाता है परन्तु वास्तु-शास्त्रीय परिभाषा में प्रासाद का तात्पर्य विशुद्ध रूप में देव-मन्दिर से हैं । प्रासाद में राज शब्द जोड़ देने से राजप्रासाद या राजमहल का बोधक हो जाता है । अतः प्रासाद शब्द राजमहलों अथवा देवमन्दिरों के लिए प्रयोग किया जाता है । नेमिनिर्वाण में प्रासाद शब्द का प्रयोग हुआ है। १. पावनतीर्थ हस्तिनापुर पृ०४ (दो शब्द) २. नेमिनिर्वाण, २१५ ३. वहीं, ५/१२ ४. वही,७/१६
५. द्र० नेमिनिर्वण,१२/२४ ६. वही,१३/६५
७. वह,१३/६५ ८. हादि धनिनं वासः - अमरकोश, २/९ ९. नेमिनिर्वाण, १/४६