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नेमिनिर्वाण : दर्शन एवं संस्कृति - संस्कृति
. १९९ सद्म : .. सभा, वापिका, विमान तथा बाग-बगीचे से सुशोभित भवन को सद्म कहते हैं । राजभवन को राजसद्म कहा जाता है । नेमिनिर्वाण में सम शब्द का उल्लेख तृतीय सर्ग में हुआ है। शाला:
शाला - भवनों की परम्परा बहुत प्राचीन है । शाला एक प्रकार का हर्म्य या भवन होता है । मंत्रशाला, यज्ञशाला, गौशाला, गजशाला, पाठशाला, अश्वशाला, पाकशाला आदि इसके परिचायक हैं । नेमिनिर्वाण में स्फटिकमणियों से निर्मितशाला (स्फटिकाश्मशाला) का नाम आया है ।
मन्दिर :
मन्दिर शब्द के दो अर्थ होते हैं - घर (भवन) तथा नगर । अमरकोश में मन्दिर शब्द भवन वाचक है । प्राचीन भारत के इतिहास पर दृष्टि डालते हैं तो बहुत प्राचीन नगर मन्दिर स्थानों के विकास मात्र हैं । संसार के अन्य प्राचीन नगरों की यही कथा है । प्राचीन काल में किसी देवायतन के पूत-पावन भूभाग के निकट थोड़े से जिज्ञासु एवं साधक सज्जनों ने सर्वप्रथम अपने आवासों का निर्माण किया । धीरे धीरे वह स्थान अपने निजी आकर्षण से एक विशाल तीर्थस्थान या नगर में परिणत हो गया। उसके निकट किसी सुरम्य जलाशय, सरिता का होना
आवश्यक है । क्योंकि जीवन की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण आवश्यकता जलपूर्ति की साधन सम्पन्नता के कारण, मन्दिर के सुन्दर स्वास्थप्रद एवं पावन वातावरण के कारण निवास स्थापन सहज हो जाता है। ... नेमिनिर्वाण में सुर-मन्दिर, पट-मन्दिर', विश्व मन्दिर, मन्दिर, श्रीमन्मन्दिर, नामों का उल्लेख आया है। दीर्घिका :
नेमिनिर्वाण में उग्रसेन के यहाँ क्रीड़ास्थल में सुन्दर दीर्घिका होने का कथन ११ वें सर्ग में किया गया है। दीर्घिका एक लम्बी नहर होती थी जो राजमहलों के भागों में प्रवाहित होती हुई गृह उद्यान तक जाती थी। नेमिनिर्वाण में इस प्रकार की दीर्घिकाओं का वर्णन आया है कि महलों के अंदर बड़ी बड़ी दीर्घिकाओं में स्वच्छ जल बहता था, जहाँ स्नान करती हुई स्त्रियों के अंगरागों से निरन्तर कर्पूर श्रीखंड कस्तूरी की सुगन्ध से क्रीडादीर्घिका सुगन्धित होती थी।
१. नेमिनिर्वाण, ३/१७ . ४. नेमिनिर्वाण-१/५५ ७. वहीं- ९/५५
२. वही, १/४३ ५. वही-७/५५,१०/५२ ८. वही-११/२०
३. भारतीय स्थापत्य : पृष्ठ ५३-५४ ६. वही- ९/८ ९. वही,१/१९, २३