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तीर्थङ्कर नेमिनाथ विषयक साहित्य ४६. नेमिनाथ विवाह (गुणकीति)
नेमिनाथ विवाह में ४४ कड़वक हैं । इसमें श्रीकृष्ण द्वारा नेमिनाथ के विवाह सम्बन्ध का निश्चय और विवाह के अवसर पर मारे जाने वाले पशुओं का करुण क्रन्दन सुनकर नेमिनाथ का विरक्त होना वर्णित है। ४७. नेमिनाथ जिनदीक्षा (गुण कीति)
इसमें ४५ कड़वक हैं जिनमें नेमिनाथ की तपस्या और मुक्ति का वर्णन है । ४८. नेमिनाथ पालना (गुण कीति)
इसमें १९ कड़वक हैं जिसमें बालक नेमिनाथ के झूले में झूलने का वर्णन है ।। रचयिता : रचनाकाल
__ इन कडवकों के रचयिता गुणकीर्ति हैं । इनकी रचनाओं में सकलकीर्ति भुवनकीर्ति और ब्रह्मजिनदास का गुरु रूप में उल्लेख है । इससे अनुमान होता है कि गुणदास का ही मुनिदीक्षा के बाद का नाम गुणकीर्ति होगा ।'
इनके साहित्यिक जीवन का आरम्भ सन् १४५० ई० के आसपास स्पष्ट होता है । ४९. नेमिनाथ नवरस फागु (सोमसुन्दरसूरि)
इस फागु की भाषा पर प्राकृत एवं गुजराती का पर्याप्त प्रभाव है । इसमें कवि ने तीर्थङ्कर नेमिनाथ के प्रति अपनी अनन्य भक्ति को निवेदित किया है । रचयिता : रचनाकाल
इस काव्य के रचयिता सोमसुन्दरसूरि हैं । इनका समय ईसा की पन्द्रहवीं शताब्दी है।' ५०. नेमिनाथ विवाहलो (उपाध्याय जयसागर)
प्रस्तुत रचना में नेमिनाथ के विवाह की रोमांचक घटना का वर्णन किया गया है । रचयिता : रचनाकाल
कृति के रचयिता उपाध्याय जयसागर हैं । काव्य का रचनाकाल वि० सं० १४१८ (सन् १३६१ ई०) के लगभग है। ५१. नेमिनाथ छन्द (शुभचन्द्र)
___यह एक हिन्दी में रचित छन्द रचना है जो २२ वें तीर्थङ्कर भगवान् नेमिनाथ के पावन चरित्र पर आधारित है, जिसमें नेमि जिन का चित्रण २५ पद्यों में किया गया है।" १.जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग -७, पृ० - २०९
२.वही, पृ० २०८ ३.वही, भाग-७, पृ०-२०८
४.वही, पृ०-२०७ ५.मिशीर्षक हिन्दी साहित्य, अनेकान्त, अक्तू- दिसं० १९८६, पृ०-८ ६.वही, पृ० -८ विशेष जानकारी के लिए द्र० - हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि (डा० प्रेमसागर जैन) पृ० ५२ ७.तीर्थर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-३, पृ० - ३८७