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तीर्थङ्कर नेमिनाथ विषयक साहित्य
७५. नेमकुमार रास (श्री वीरचन्द्र)
यह एक नेमिनाथ पर रचा गया रास है जो भगवान नेमिनाथ की वैवाहिक घटना पर आधारित है ।
रचयिता : रचनाकाल
इस रास के रचयिता श्री वीरचन्द्र हैं । डा० कस्तूरचन्द काशलीवाल की सूचना के अनुसार इसकी पाण्डुलिपि उदयपुर के अग्रवाल दिगंबर जैन मन्दिर के शास्त्र भण्डार में सुरक्षित है । इस ग्रन्थ की रचना वि० सं० १६७० (सन् १६१३ ई०) में समाप्त हुई है। स्वयं आचार्य ने लिखा है -
“संवत् सोलहोत्तरि, श्रावण सुदि गुरुवार ।
दशमी को दिन संपडो, रास रच्यो मनोहार ।।
यह रचना गुजराती मिश्रित राजस्थानी में है ।
७६. राजीमतीनेमिसुर ढमाल (भगवतीदास)
इसमें राजीमती और मिकुमार के जीवन चरित्र को अंकित किया गया है ।
रचयिता : रचनाकाल
इस काव्य के रचयिता कवि भगवती दास हैं। ये भट्टारक गुणचन्द्र के पटधर के भट्टारक सकलचन्द्र के प्रशिष्य और महीन्द्रसेन के शिष्य थे । इनका रचनाकाल १७ वीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध तथा १८ वीं का पूर्वार्द्ध निश्चित है । कवि की सभी रचनायें १७ वीं शती में सम्पन्न हुई
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७७. नेमिनाथ की आरती ( गंगादास ) *
इसमें ४ कडवक हैं ।
रचयिता : रचनाकाल
आरती के रचयिता गंगादास हैं जो मूलतः गुजराती थे और कारंजा के भट्टारक धर्मचन्द्र शिष्य थे । इनका रचनाकाल सत्रहवीं शताब्दी है ।
७८. नेमीश्वर गीत ( महीचन्द्र )
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इसमें १० कड़वक हैं, जिनमें राजीमती की विरह वेदना का वर्णन है ।
रचयिता : रचनाकाल
इसके रचयिता महीचन्द्र हैं जिनका समय १७ वीं शताब्दी है ।
१. तीर्थङ्कर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, भाग-३, पृ० ३७७
२. तीर्थङ्कर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग - ४, पृ०२४०
३. आरती संग्रह (प्र० जिनदास चवड़े, वर्धा, १९२६) में प्र० द्र० - जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग - ७, पृ० - २२०
४. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग - ७, पृ० - २२०