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श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन में विद्यमान है। रचयिता : रचनाकाल
इसके रचयिता ऋषि शिव हैं । रचनाकाल २० वीं शताब्दी है ।। १३५. नेमिस्तवन (जितसागरमणि)
इस स्तवन की कुल पृष्ठ संख्या १ है । पूर्ण प्रति पाटोदी का मन्दिर, जयपुर (वेष्ठन १२०८) में है। रचयिता : रचनाकाल
इस स्तवन के रचयिता जितसागरमणि हैं तथा समय २० वीं शताब्दी है । १३६. नेमिगीत (कवि पासचन्द)
यह प्रति भी पाटोदी का मन्दिर, जयपुर (वेष्ठन १८४७) में है । रचयिता : रचनाकाल
नेमिगीत के कवि "पासचन्द” हैं । इनका समय बीसवीं शती ईस्वी है।' १३७. नेमिराजमती गीत (कवि हीरानन्द)
पूर्ण प्रति पाटोदी का मन्दिर, जयपुर (वेष्ठन २१७४) में है । रचयिता : रचनाकाल
इसके कवि हीरानन्द हैं । इनका समय भी ईसा की बीसवीं शताब्दी है। . १३८. नेमि राजमती गीत (छीतरमल)
इसकी पत्र संख्या एक है । पाटोदी का मन्दिर जयपुर शास्त्र भण्डार (वेष्ठन २१३५) में इसकी हस्तलिखित प्रति सुरक्षित है। रचयिता : रचनाकाल
इस गीत के रचयिता “छीतरमल" हैं, जिनका समय ईसा की बीसवीं शताब्दी है । १३९. राजुल सज्झाय (पं० जिनदास)
यह ३७ पदों की रचना है । दिगम्बर जैन मन्दिर विजयराम पांड्या जयपुर का शास्त्र भण्डार गुटका ४४, वेष्ठन २७२ में इसकी प्रति है। रचयिता : रचनाकाल
इसके रचयिता पं०जिनदास हैं, जो बीसवीं शताब्दी के सुप्रसिद्ध विद्वान् हैं । १. डा० इन्द्रराय जैन द्वारा लिखित 'मिशीर्षक हिन्दी साहित्य" लेख अनेकान्त अक्टूबर-दिसम्बर . १९८६ , पृ० -१५ २. वह, पृ० -१५
३. वहीं, पृ०-१५ ४. वही, पृ० -१५
५. वही, पृ० -१५ ६. वही, पृ० -१५