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श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन
की उत्पत्ति, विवाह, जीवनचरित, समुद्र, पहाड़, सूर्योदय, चन्द्रोदय, वनक्रीड़ा, जलक्रीड़ा (रतिचिन्ता) युद्ध, जय-प्राप्ति इत्यादि का सविस्तार वर्णन है । विप्रलम्भ श्रृंगार के वर्णन में तो कवि ने अपूर्व क्षमता प्रकट की है 1
रचयिता : रचनाकाल
इस पुराण के रचयिता कवि कर्णपार्थ हैं। जिनका समय ई० सन् १३४० है । १५७. अर्द्ध नेमिपुराण (श्री नेमिचन्द्र)
संस्कृत मिश्रित कन्नड़ में संस्कृत छन्द लेकर कवि (श्री नेमिचन्द्र) ने इस पुराण की रचना की । चम्पक शार्दूल वृत्त में सम्पूर्ण ग्रन्थ लिखा है । अनुप्रास की छटा अधिक दिखाई देती है ।
रचयिता : रचनाकाल
इस पुराण के रचयिता श्री नेमिचन्द्र हैं, जिनका १३ वीं शताब्दी के कवियों में प्रमुख स्थान है । इनके सम्मुख कन्नड़ का कोई भी कवि नहीं ठहर सकता ।
गुजराती
१५८. नेमिनाथ चउवई (विनयचन्द्र सूरि )
यह गुर्जर भाषा में रचित काव्यरचना है ।
रचयिता : रचनाकाल
इस काव्य के रचयिता विनयचन्द्रसूरि हैं, जिसका रचनाकाल सं० १२८३ (सन् १२२६ ई०) से लेकर सं० १३४५ (सन् १२८८ ई०) तक है। १५९. नेमीश्वर राजीमती फाग (गुणकीर्ति) यह एक गुजराती रचना है ।
रचयिता : रचनाकाल
फाग के रचयिता का नाम गुणकीर्ति है । इनकी रचनाओं में सकलकीर्ति, भुवनकीर्ति और ब्रह्मजिनदास का गुरु रूप में उल्लेख है। इससे अनुमान होता है कि गुणदास का ही मुनिदीक्षा के बाद का नाम गुणकीर्ति होगा । इनका रचनाकाल १३ वीं शताब्दी है ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि जैन सम्प्रदाय के पूज्य तीर्थङ्कर नेमिनाथ के पावन जीवन को जनमानस में प्रसारित करने के लिए अनेक कवियों ने भारतीय भाषाओं में विविध शैली के अनेक काव्यों का निर्माण किया है । यहाँ प्रदत्त नेमि विषयक साहित्य के आकलन से भारतवर्ष का साहित्य अवश्य समृद्धतर हो सकेगा ।
१. तीर्थङ्कर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, पृ० ३०९
२. वही, पृ० ३०९
३. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग - ६, पृ० - १२२ ४. वही, पृ० २०८-२०९