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तीर्थकर नेमिनाथ विषयक साहित्य
६९ रचयिता : रचनाकाल
इसके रचयिता श्री विश्व, बलात्कारगण की अटेरशाखा के ख्यातिप्राप्त भट्टारक थे । "नेमिजी को मंगल" की रचना आपने सं० १६९८ (सन् १६४१ ई०) में की थी । कृति की एक पूर्ण प्रति दिगम्बर जैन मन्दिर पटौदी का, जयपुर, गु० नं० १२ में संकलित है । कवि विश्वभूषण कृत "लक्षुरिनेमीश्वर की" प्रति दिगम्बर जैन मन्दिर विजयराम पांड्या, जयपुर के भण्डार में गुटका नं० ४ में संग्रहीत है । ८४. नेमिनाथ रास (रूपचन्द्र)
रास शैली में विरचित यह एक महत्त्वपूर्ण कृति है। रचयिता : रचनाकाल
नेमिनाथ रास के रचयिता कवि रूपचन्द्र हैं । रूपचन्द्र नाम के अनेक कवि हुए हैं परन्तु आलोच्य कृति के रचनाकार पाण्डे रूपचन्द्र, भगवानदास के पुत्र थे । नेमिनाथ रास की रचना संवत् १६९० (सन् १६३३ ई०) के लगभग की थी। रूपचन्द्र विरचित "राजुल विनती” (गुटका नं० ८१ शास्त्र भण्डार, श्री महावीरजी) तथा नेमिनाथ स्तवन" (गुटका नं० ७६, भट्टारकीय दिगम्बर जैन मन्दिर, अजमेर) का भी उल्लेख मिलता है । ८५. नेमिजिनेद्र व्याहलो' (खेतसी, खेतसिंह)
नेमिनाथ के विवाह से सम्बन्धित रचना । ८६. नेमिश्वर राजुल की लहुरि (खेतसी, रवेत सिंह)
__ लहरि शैली में लिखित नेमिनाथ भगवान् का वर्णन । ८७. नेमीश्वर का बारहमासा (खेतसी, रवेत सिंह)
बारहमासा शैली में तीर्थङ्कर नेमिनाथ का विस्तृत वर्णन । रचयिता : रचनाकाल
• इनके रचनाकार खेतसी अथवा खेतसिंह हैं । ये सार्दू शाखा के चारण कवि और जोधपुर नरेश के आश्रित थे । "व्याहलो" का सृजन इन्होंने संवत् १६९१ (सन् १६३४) में किया था । कविता में खेतसी अपना “सहि” या “साहि” नाम प्रयुक्त करते थे । इस कृति की प्रतियाँ १. गुटका नं० ६५, पटौदी का मन्दिर जयपुर, २. गुटका नं० ६, दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ मन्दिर जयपुर ३. गुटका नं० ४२, शास्त्र भण्डार श्री महावीरजी में उपलब्ध है ।। १. डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित "नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य, लेख अनेकान्त अक्तूबर-दिसम्बर १२७३, पृ० १० २. वही, पृ० -११ ३. भट्टारक रत्नकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र - व्यक्तित्व एवं कृतित्व, पृ० - २४ ४. वही, पृ० २४
___५. वही, पृ० २४ ६. वही, पृ० - २४