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तीर्थङ्कर नेमिनाथ विषयक साहित्य
१२२. नेमिराजुलगीत ( भट्टारक शुभचन्द्र)
कवि ने नेमिराजुल की जीवन घटनाओं पर आधारित भक्तिपरक गीतों की सृष्टि की है।
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रचयिता : रचनाकाल
I
प्रस्तुत गीत के रचयिता १८ वीं शताब्दी के कवि थे । ये भट्टारक शुभचन्द्र (द्वितीय) अभयचन्द्र के शिष्य थे ।
१२३. नेमिनाथ बारहमासा ( श्यामदास गोधा )
प्रस्तुत बारहमासे की पूर्ण प्रति बधीचन्द्र जी के मन्दिर जयपुर में शास्त्र भण्डार गुटका नं० १६१ में है ।
रचयिता : रचनाकाल
इस बारहमासा के रचयिता श्यामदास गोधा हैं और उन्होंने इस काव्य की रचना संवत् १७८६ (सन् १७२९ ई०) में की थी ।
उपर्युक्त रचनाओं के अतिरिक्त अठारहवीं शताब्दी में भवानी प्रसाद द्वारा रचित तीन गीत उपलब्ध होते हैं जिनके नाम क्रमश:
"नेमिनाथ बारहमासा” "नेमि हिण्डोलना "
"नेमिनाथ राजमती”
कवि विनय विजय ने "नेमिनाथ भ्रमरगीत स्तवन" और नेमिनाथ बारहमासा की रचना की । (इनका उल्लेख डा० प्रेमसागर जैन ने हिन्दी जैन भक्ति काव्य कवि शीर्षक पुस्तक में किया है) ।
१२४. नेमिचन्द्रिका ( मनरंगलाल )
यह हिन्दी काव्य रचना है, जिसकी पत्र सं० १९ है तथा कुल छन्द संख्या ८६ है । यह नेमिनाथ पर रचित काव्य है जो कनौजी भाषा से प्रभावित है । इस खण्डकाव्य को कवि ने दोहा, चौपाई, सोरठा, आदि छन्दों में निबद्ध किया है । यह १९ वीं शताब्दी की महत्त्वपूर्ण कृति है। रचयिता : रचनाकाल
इसके रचयिता मनरंगलाल हैं । मनरंगलाल कन्नौज के निवासी थे तथा जाति के पल्लीवाल थे । इनके पिता का नाम कन्नौजीलाल और माता का नाम देवकी था । इस काव्य का रचनाकाल सं० १८८० (सन् १८२३ ई०) है।
१. द्रष्टव्य - डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित "नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य" लेख, अनेकान्त अक्तूबर-दिसम्बर १९८६, पृ० - १४
२. वही, पृ० १४
४.
५.
३. वही, पृ० १४
तीर्थङ्कर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, भाग - ४, पृ० - ३०६
द्रष्टव्य - डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित "नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य” लेख, अनेकान्त अक्तूबर-दिसम्बर १९८६, पृ० १४