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श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन प्रकाशित हो गया है जिसे चरित्र चुनड़ी भी कहते हैं । इस रूपक गीत में नेमिनाथ के वैराग्य लेने पर राजुल ने चारित्र चुनड़ी को किस प्रकार धारण किया, इसका १६ पद्यों में मार्मिक वर्णन हुआ है। रचयिता : रचनाकाल
प्रस्तुत गीत के रचयिता जयसागर भट्टारक, रत्नकीर्ति के प्रमुख शिष्यों में से थे परन्तु इनके जीवन के सम्बन्ध में अधिक जानकारी नहीं मिलती। ७०. नेमिनाथ भवान्तर (चिमना पण्डित)
यह ११ पद्यों का गीत है जिसमें माता शिवा देवी और नेमिनाथ के संवाद के रूप में उनके पूर्वजन्मों का संक्षिप्त वर्णन है । ७१. नेमिनाथ पालना (चिमना पण्डित)
यह एक १८ पद्यों का गीत है जिसमें बालक नेमिनाथ के झूले में झूलने का वर्णन है। रचयिता : रचनाकाल
उपर्युक्त दोनों रचनाओं के रचयिता चिमना पण्डित हैं जिनका समय सन् १६५०-१६७५
७२. नेमिनाथ भवान्तर (महीचन्द्र)
नेमिनाथ भवान्तर में ७१ कड़वक हैं जिनमें माता शिवादेवी के साथ संवाद के रूप में नेमिनाथ के पूर्वजन्मों की कथा वर्णित है।" रचयिता : रचनाकाल
इस भवान्तर के रचयिता महीचन्द्र हैं जो लातूर के भट्टारक विशालकीर्ति के पट्टशिष्य थे । इनका रचनाकाल १७ वीं शताब्दी है ।। ७३. नेमि धर्मोपदेश एवं ७४. नेमिनाथ पूजा (ब्रह्म ज्ञानसागर)
उपर्युक्त दोनों रचनाऐं क्रमशः हिन्दी तथा संस्कृत में लिखी गई हैं । जिनमें नेमिनाथ का चरित्र अंकित किया गया है । ये रचनायें भाषा भाव की दृष्टि से साधारण हैं । रचयिता : रचनाकाल
इन दोनों रचनाओं के रचयिता ब्रह्मज्ञानसागर हैं । इनकी रचना १७ वीं शताब्दी में की
१. द्रष्टव्य - डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित 'नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य", लेख अनेकान्त, अक्तूबर-दिसम्बर १९८६,
पृ०-१० २. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-६, पृ०-२१५ ३.जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-६, पृ० - २१५ ४. वही, पृ० - २२०
५.वही, पृ० - २१९ ६. तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, भाग-३ पृ० ४४३.