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श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन "मेघमाला कहा” का रचनाकाल वि० सं० १५८० (सन् १५२३ ई०) है । अतः इनका रचनाकाल १६ वीं शती है। ६३. नेमिरंगरलाकरछन्द (कवि लावण्य समय) (लघुराज)
प्रस्तुत कृति की १७ पत्रों वाली प्रति आमेर शास्त्र भण्डार (अब महावीर जी में स्थानान्तरित) में संग्रहीत है। रचयिता : रचनाकाल
प्रस्तुत कृति के रचनाकार कवि लावण्यसमय हैं । इनके बचपन का नाम लघुराज था और वे १६ वीं शताब्दी के कवियों में से एक थे।
(लावण्यसमयकृत - “राजुलविरहगीत” अथवा “राजुलनेमि अबोला" की प्रति भी उक्त शास्त्र भण्डार में. है) ६४. नेमिनाथ स्तवन (कवि धनपाल)
नेमिनाथ स्तवन अथवा नेमिजिनवन्दना ५ छन्दों की लघु कृति है जिसमें नेमिनाथ के तोरणोद्वार से लौटने, राजुल का त्याग, गिरनार पर्वत पर तप एवं नेमि निर्वाण का सुन्दर वर्णन हुआ है। रचयिता : रचनाकाल
इसके रचयिता कवि धनपाल हैं जो प्रसिद्ध कवि देल्ह के पुत्र तथा ठक्कुरसी के अनुज थे । इनका समय सं० १५२५ से १५९० (१४६८-१५३३ ई०) तक माना जाता है। ६५. नेमीश्वर रास या हरिवंश रास (ब्रह्मजिनदास) __इस कृति को हरिवंश रास भी कहते हैं । कवि ने नेमिनाथ के गर्भ च्यवन से लेकर निर्वाण तक की कथा कही है और प्रासंगिक रूप से श्रीकृष्ण और पाण्डवों की कथा भी अनुस्यूत है। यह कृति तीन हजार श्लोक प्रमाण है । यह हिन्दी का जैन महाभारत भी कहा जाता है। रचयिता : रचनाकाल
इसके रचयिता ब्रह्मजिनदास हैं । जिनदास नाम के कई कवियों का उल्लेख मिलता है परन्तु विवेच्य जिनदास भट्टारक सकलकीर्ति के शिष्य एवं अनुज थे। ये संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान् थे और पहले नेमिनाथ पुराण की रचना संस्कृत में की थी परन्तु बाद में बहुजन हिताय संवत् १५२० (१४६३ ई०) में स्वयं ही उपर्युक्त रास की रचना हिन्दी में की। १. द्रष्टव्य - डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित 'नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य, लेख अनेकान्त, अक्तूबर-दिसम्बर १९८६,
पृ० -९ २. महाकवि ब्रह्मजिनदास - व्यक्तित्व एवं कृतित्व, पृ० - ४२ ३. द्रष्टव्य - डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित "नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य", लेखअनेकान्त, अक्तूबर - दिसम्बर, पृ० ९ ४. वही, पृ०९