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तीर्थकर नेमिनाथ विषयक साहित्य
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पत्नी का नाम सावित्री था । इनके उदयराज नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ । पुत्र के जन्म के समय कवि णेमिणाहचरिउ की रचना कर रहे थे। कवि का रचनाकाल वि० सं० १४५७ से १५३६ (सन् १४०० से १४७९ ई०) सिद्ध होता है । २
४२. निणाहचरिउ (अमर कीर्तिगणि).
यह चरितकाव्य भी अपभ्रंश भाषा में रचित है जिसमें तीर्थकुर श्री नेमिनाथ का चरित्र वर्णित है। प्रसंगवश कृष्ण व उसके चचेरे भाइयों का भी चरित पाया जाता है। इसमें २५ सन्धियाँ हैं जिसकी श्लोक संख्या ६८९५ है । ३
रचयिता : रचनाकाल
यह ग्रन्थ अमरकीर्तिगणि द्वारा रचित है । कवि की मुनि गणि और सूरि उपाधियाँ हैं । इस ग्रन्थ को कवि ने वि० सं० १२४४ भाद्रपद शुक्ला चतुर्दशी को समाप्त किया था । वि० सं० १५१२ की इसकी प्रति सोनागिर के भट्टारकीय शास्त्र भण्डार में सुरक्षित है । ४३. मिणाहचरिउ ( दामोदर)
अपभ्रंश भाषा में रचित यह २२ वें तीर्थङ्कर नेमिनाथ पर लिखा गया चरितकाव्य है । इसमें पाँच सन्धियाँ हैं । यह चरितकाव्य आडंबरहीन तथा गम्भीर अर्थपूर्ण है जिनमें नेमिनाथ की कथा साधारण रूप से गुंफित है ।
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रचयिता : रचनाकाल
इस काव्य के रचयिता का नाम दामोदर है। यह रचना वि० सं० १२८७ (सन् १२३० ई०) में लिखी गई है । कवि ने अपने गुरु का नाम दामोदर बताया है जो गणधर के पट्टधर शिष्य थे । ग्रन्थ के पुष्पिका वाक्य में कवि ने यह स्वयं उल्लेख किया है । *
४४. मिणाहचरिउ (कवि लक्ष्मणदेव)
णेमिणाहचरिउ की दो पाण्डुलिपियाँ उपलब्ध हैं। एक पाण्डुलिपि पंचायती मन्दिर दिल्ली में सुरक्षित है । दूसरी पाण्डुलिपि पटोदी शास्त्र भण्डार जयपुर में है। यह प्राचीन अपभ्रंश काव्य रचना है। इस ग्रन्थ में चार सन्धियाँ हैं और ८३ कड़वक हैं । ग्रन्थ प्रमाण १३५० श्लोक के लगभग है ।
१. तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग ४, पृ० २०१-२०२
२. महाकवि रइबू साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन पृ० १२०.
३. तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग - ४, पृ० १५८
४. इव णेमिणाह चरिए महामुणि कमलभट्ट पच्चक्खे महाकई-कपिटठ दामोदर विरइए पंडित रामंवर आएसिए महाकव्
मल्हसुअणम्म एव आयेण्णिए णेमि णिव्वाणमणं पंचमो परिच्छेओ सम्मतो ।
तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा भाग - ४, पृ० - १९५ वही, भाग- ४, पृ० २०७
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