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मुनि सभामंद एवं उसका पपपुराण
पं० पक्षालाल जी साहित्याचार्य ने उत्तरपुराण का संक्षिप्त कथानक अपने पद्म पुराण की प्रस्तावना में निम्न प्रकार दिया है।
"वाराणसी के राजा दशरथ के चार पुत्र उत्पन्न होते हैं-राम सुबाला के गर्म से लक्ष्मण कैकयी के गर्भ से मौर बाद में जब दशरथ अपनी राजधानी साकेत में स्थापित करते हैं सब भरत और शत्रुघ्न भी किसी अन्य रानी के गर्भ से उत्पन्न होते हैं। यहां भरस एवं शत्रुघ्न की माता का नाम नहीं दिया गया है दशानन बिनमि विद्याधर वंश के पुलस्त्य का पुत्र है । किसी दिन वह अमित वेग की पुत्री मणीमति को तपस्या करते देखता है और उस पर प्रासकर होकर उसकी साधना में विघ्न डालने का प्रयत्न करता हैं । मणिमति निदान करती है कि मैं उसकी पत्री होकर उसे मारूगी"। मृत्यु के बाद वह रावण की रानी मन्दोदरी के गर्भ में प्राती है। उसके जन्म के बाद ज्योतिषी रावण से कहते हैं कि यह प.वी भापका नाश करेगी प्रतः रावण ने भयभीत होकर मार्गव को प्राज्ञा दी कि वह उसे कहीं छोड़ दे। कन्या को एक मन्जूषा में रख कर मारीच उसे मिथिला देश में गाई पाता है । हल की नोक से उलझ जाने के कारण वह मन्जूषा दिखाई देती है और लोगों के द्वारा जमक के पास पहुंचाई जाती हैं। जनक मजूषा को खोलकर देखते है और उसका सीता नाम रख कर पुत्री की तरह पालन करते हैं । बहुत समय बाद जनक अपने यश की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को बुलाते हैं । युद्ध के समाप्त होने पर राम और सीता का विवाह होता है । इसके बाद राम अन्य सात कुमारियों को साथ विवाह करते है और लक्ष्मण पृथ्वी प्रादि १६ राजकन्याओं से । दोनों दशरथ को प्राज्ञा लेकर वाराणसी में रहने लगते हैं ।
नारद से सीता के सौन्दर्य का दर्शन सुनकर रावसा उसे हर लाने का संकल्प करता है । सीता का मन जांचने के लिए शूपाखा भेजी जाती है लेकिन सीता का सतीष देख कर बह रावल से यह कह कर लौटती है कि सीता का मन चलायमान करना असम्भन है । जब राम और मीना वाराणसी के निकट चित्रकूट वाटिका में विहार करते हैं तब मारीच स्वर्णमृग का रूप धारण कर राम को दूर ले जाता है। इतने में रावण राम का रूप धारण करके सीता से कहता है कि मैंने स्वर्ण मृग महन भेजा है । भौर उमको पालकी पर चढन की प्राज्ञा देता है । यह पासको वास्तव में पष्पक विमान है जो सीता को लंका ले जाना है। सवा मीता का स्पर्श नहीं करता है प्रयोकि पतिव्रता के स्पर्श करने से उसकी माकागामिनी विद्या मष्ट हो जाती।
दशरथ को स्वप्न द्वारा मालम हुअा कि रावण ने मीता का हरण किया मौर वह राम के पास यह समाचार भेजते हैं । इनने में मुग्रीव मौर हनुमान वालि