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कर्मों का आनव : स्वरूप और भेद ५४७
अवांछनीय कोलाहल का अस्वीकार और वांछनीय के साथ तालमेल
उदाहरण के लिए हम कोलाहल को सामने रखकर विचार कर सकते हैं। अत्यधिक शोर-शराबा उत्तेजना पैदा करता है, यह किसी को भी पसन्द नहीं है । परन्तु कई लोग अपना व्यावसायिक या साम्प्रदायिक प्रचार करने के लिए अत्यधिक ऊँची आवाज में लाउडस्पीकर से फिल्मी तर्जों पर बने गीतों का, अथवा भाषणों का धुँआधार प्रचार करते हैं। कई लोग तो इन कर्कश और कर्णकटु आवाजों से कुछ भी नहीं समझ पाते कि ये क्या कहना चाहते हैं। कई कल-कारखानों में भी मशीनों के चलने की भयंकर आवाजें होती हैं। अत्यधिक शोर के हानिकारक प्रभावों से आज के वैज्ञानिक युग में जीने वाला कोई भी समझदार व्यक्ति बेखबर नहीं है। कई देशों में वहाँ के शासन प्रबन्धकर्ताओं ने वाहनों और विमानों को भी बिलकुल आवाज न करने वाले, या कम से कम आवाज करने वाले चलाने की अनुमति दी है।
परन्तु मानवीय काया की संरचना ऐसी है कि वह बाहर के प्रभाव को अपनी मनः स्थिति के अनुसार बहुत ही घटा सकती है। कानों की संरचना भी ऐसी है कि सहन नहीं की जा सकने वाली तेज ध्वनि तरंगें कानों से टकराती जरूर हैं, किन्तु मस्तिष्क की जितनी क्षमता है, उतनी ही ध्वनि को वह स्वीकारता है, शेष ध्वनि टकराकर स्वतः वापस चली जाती है। इसी प्रकार अवांछनीय कोलाहल को व्यक्ति अस्वीकार भी कर देता है, और वांछनीय के साथ तालमेल बिठा लेता है।
अवांछनीय तत्त्व को अस्वीकार करने का तात्पर्य
"अस्वीकृत करने से तात्पर्य है - कोलाहल की ओर से ध्यान हटा दिया जाए, और अपने मनोनीत कर्त्तव्य या कार्य में तन्मय हुआ जाए। ऐसा करने से उन तेज आवाजों से न तो एकाग्रता भंग होती है, और न ही अपने कर्तव्य या कार्य में रुकावट आती है।”
आवश्यकतानुसार कोलाहल के साथ तालमेल और उपेक्षा
“दैनिक समाचार पत्रों के कार्यालयों के इर्द-गिर्द प्रिंटिंग प्रेस की मशीनें, टाइपराइटर तथा दूसरी हलचलें रहती हैं, और पास में ही वहाँ एक कमरे में बैठे हुए - सम्पादक- गण अपना ऐसा लेखनकार्य सुरुचिपूर्वक करते रहते हैं, जो एकाग्रता के बिना किसी भी प्रकार सम्भव नहीं हो सकता। इस पर से यही तथ्य फलित होता है कि यदि कोलाहल की ओर से ध्यान हटाकर अपने अभीष्ट प्रयोजन के साथ तन्मयता स्थापित की जा सके तो फिर मस्तिष्क और कान को व्यग्र या अस्त-व्यस्त करने वाले कोलाहल का व्यवधान दूर हो सकता है।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि उस कोलाहल की ओर से ध्यान हटाकर उसको सह्य बना लिया जाता है, अथवा उसके साथ अपने प्रयोजन के अनुसार तालमेल बिठा
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