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छ काय के बोल ।
( ३३)
अप काय।
अप काय के दो भेद-१ सूक्ष्म २ बादर ।
सूक्ष्म:--सारे लोक में भरे हुवे हैं, हनने से हनाय नहीं, मारने से मरे नहीं, अग्नि में जले नहीं, जल में डूबे नहीं, आंखो से दीखे नहीं व जिसके दो भाग हो सकते नहीं उसे सूक्ष्म अपकाय कहते हैं।
बादर:-लोक के देश भाग में भरे हुवे हैं, हनने से हनाय, मारने से मरे, अग्नि में जले, जल में डूबे, आंखो से नजर आये उसे बादर अपकाय कहते हैं।
इसके १७ भेदः-१ ढार का जल २ हिम का जल ३ धूवर का जल ४ मेघरचा का जल ५ अोस का जल ६ ओले का जल ७ बरसात का जल ८ ठण्डा जल ६ गरम जल १० खारा जल ११ खट्टा जल १२ लवण समुद्र का जल १३ मधुर रस के समान जल १४ दृध के समान जल १५ घी के समान जल १६ ईख (शेलड़ी) के रस जैसा जल १७ सर्व रसद समान जल ।
इसके सिवाय अपकाय के और भी बहुत से भेद हैं। जल के एक बिन्दु में भगवान ने असंख्यात जीव फरमाये हैं। एक पर्याप्त की नेश्रा से असंख्य अपर्याप्त है। इनकी अगर कोई जीव दया पालेगा तो वह इस भव में व पर भव में निरास भालेगा!
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