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श्रु० १, अ०४, उ०२ सूत्र २८१ १४४
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स्थानांग - सूची
१ परिणत २ रूप ३ मन ४ संकल्प ५ प्रज्ञा ६ दृष्टि ७ शीला - चार ८ व्यवहार पराक्रम १० वृत्ति ११ जाति १२ भाषी १३ अवभासी १४ सेवी १५ पर्याप्त १६ परिवार
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(१८) आर्य-अनार्य, चार चार प्रकार के पुरुष (१६) परिणत आदि की पुनरावृत्ति और १ भाव
श्रेष्ठता
क- चार प्रकार के वृषभ, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष ख - जाति- कुल से श्रेष्ठ
चार प्रकार के वृषभ, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष ग- जाति और बल से श्रेष्ठ
चार प्रकार के वृषभ, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष घ- जाति और रूप से श्रेष्ठ
चार प्रकार के वृषभ, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष ङ - कुल और बल से श्रेष्ठ
चार प्रकार के वृषभ, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष
च - कुल और रूप से श्रेष्ठ
चार प्रकार के
ज - धैर्य - अल्प धैर्यचार प्रकार के
वृषभ, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष - भीरु और विचित्र स्वभाव
हस्ति, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष
- मंद, भद्र, मृदु और संकीर्ण
चार प्रकार के हस्ति, इसी प्रकार चार प्रकार
- मृदु भद्र, मंद, और संकीर्ण
चार प्रकार के हस्ति, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष
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पुरुष
ट- भद्र, मंद, मृदु और संकीर्ण
चार प्रकार के हस्ति, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष
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