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श०८ उ०१ प्र० २६
१२६ क- पुद्लास्तिकाय के कर्मबंध नहीं होता
ख- कालोदायी का प्रव्रज्या ग्रहण
१३१
३१६
१२३
१२८
१२६
शुभ कर्मों का शुभ फल
१३० क शुभ कर्मफल के संबंध में औषधिमिश्रित आहार का उदाहरण
ख- प्राणातिपात विरति का फल
afroat को प्रदिप्त अथवा उपशांत करने वाले के कर्मबंध
पापकर्मों का अशुभ फल
अशुभ कर्मफल के संबंध में विषमिश्रित भोजन का उदाहरण
की विचारणा
१३२
अचित पुद्गलों का प्रकाश
१३३ क - तेजोलेश्या के पुद्गलों का का प्रकाश
ख- कालोदायी की अन्तिम आराधना एवं मुक्ति
अष्टम शतक
प्रथम पुद्गल उद्देशक
१ क- राजगृह
ख- तीन प्रकार के पुद्गल
भगवती-सूची
२- १७ चौवीस दण्डक में प्रयोग परिणत पुद्गल
१८- २५ चौवीस दण्डक में सूक्ष्म बादर तथा पर्याप्ता अपर्याप्ता की अपेक्षा प्रयोग
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२६ क चौवीस दण्डक में सूक्ष्म पर्याप्ता अपर्याप्ता की अपेक्षा प्रयोग परिणत पुद्गल
ख- चौवीस दण्डक मैं बादर पर्याप्ता - अपर्याप्ता की अपेक्षा प्रयोग परिणत पुद्गल
ग- चौवीस दण्डक में इन्द्रियों की अपेक्षा प्रयोग परिणत पुद्गल घ- चौवीस दण्डक में शरीरों की अपेक्षा प्रयोग परिणत पुद्गल
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