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दा०७ उ०८ प्र०१०८ ३१७
भगवती-सूची ६३ कामी-भोगी का अल्प-बहुत्व ६४ क- उत्थानादि से छद्मस्थ का भोग सामर्थ्य ख- भोगों के त्याग से निर्जरा
अधो अवधि ज्ञानी का भोग सामर्थ्य
परमावधि ज्ञानी का उसी भव से मोक्ष १७ केवल ज्ञानी का उसी भव से मोक्ष १८ असंज्ञी जीवों की अकाम वेदना
संज्ञी जीवों की अकाम वेदना संज्ञी जीवों की तीवेच्छापूर्वक वेदना अष्टम छद्मस्थ उद्देशक छद्मस्थ की केवल संयम, संवर, ब्रह्मचर्य और समिति-गुप्तिके पालन से मुक्ति नहीं होती
जीव १०२ हाथी और कुंथुवे का जीव समान है
सुख और दुःख १०३ चौवीस दण्डक में पापकर्म से दुःख, और कर्म निर्जरा से सुख
संज्ञा चौवीस दण्दक में दश संज्ञा वेदना नरक में दश प्रकार की वेदना
क्रिया विचार १०६ हाथी और कुंथुवे की समान अप्रत्याख्यान क्रिया
प्राधाकर्म आहार आधाकर्म आहार करने वाले के कर्म प्रकृतियों का बंधन नवम असंवृत उद्देशक बाह्य पुद्गलों को ग्रहण करके असंवृत साधु का वैक्रिय करना
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