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बृहत्कल्प-सूची
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उ० ५ सूत्र २१
पंचम उद्देशक १-४ चतुर्थ महावत---प्रायश्चित्त सूत्र-देवी-देवी वैक्रिय से रूप
परिवर्तित कर निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थी के साथ मैथुन सेवन करे और निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थी उसका अनुमोदन करे तो गुरु प्रायश्चित्त संघ व्यवस्था-कलह उपशमन प्रायश्चि सूत्र--कलह उपशन से पूर्व गान्तर संक्रमण का प्रायश्चित्त
एषणासमिति-परिभोगैषणा ६-१० घने बादलों से आकाश आच्छादित हो उस समय यदि
सूर्योदय से पूर्व या सूर्यास्त पश्चात् आहार ले लिया हो तो
उसका गुरु प्रायश्चित् ११-१२ सदोष आहार के परठने (डालने) की विधि
चतुर्थ महाव्रत- प्रायश्चित सूत्र
निर्ग्रन्थियों के विशेष नियम १३-१४ निर्ग्रन्थी-पशु-पक्षियों के स्पर्श का अनुमोदन करे तो गुरु
प्रायश्चित्त संघ व्यवस्था
निर्ग्रन्थी के अकेली रहने का निषेध १६-१८ क- आहार-पानी के लिये निर्गन्थी को अकेली जाने का निषेध
ख- स्वाध्याय के लिये ग- शौच के लिये घ- अकेली निर्ग्रन्थी के विहार करने का निषेध
निर्ग्रन्थी के नग्न रहने का निषेध २० निग्रंन्थी के करपात्र का निषेध
निर्ग्रन्थी के अनावृत देह रहने का निषेध
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