Book Title: Jainagama Nirdeshika
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 976
________________ गाथा गाथा २६६ ६४८ पिण्ड नियुक्ति - सूची २५१ उपकरण पूति के भंग गाथा २५२-२५६ मिश्र भक्त-पान पूति गाथा २५७-२६१ सूक्ष्मपूति की व्याख्या गाथा २६२ दो प्रकार के कार्य गाथा २६३-२६५ सूक्ष्मपूति का परिहार शक्य नहीं है । गाथा २६६-२६८ द्रव्यपूति के कल्प्य अकल्प्य का विधान गाथा २६६ । आधाकर्म और पूति की भिन्नता गाथा २७० आधाकर्म और पूतिकर्म के जानने की विधि गाथा २७१ मिश्रजात के तीन भेद गाथा २७२ यावथिक मिश्र जानने की विधि गाथा २७३ पाखंडी मिश्र और साधु मिश्र जानने की विधि गाथा २७४-२७५ अकल्प्य मिश्रजात की भयंकरता का उदाहरण गाथा २७६ पात्रशुद्धि की विधि गाथा २७७ स्थापना दोष के दो भेद । गाथा २७८ परस्थान स्थापना के अनेक भेद गाथा २७६ स्वस्थान स्थापना और परस्थान स्थापना के दो दो भेद गाथा २८० दो प्रकार के द्रव्य गाथा २८१-२८३ परंपरा स्थापित का उदाहरण गाथा २८४ प्राभृतिका गाथा २८५ क- प्राभृतिका के दो भेद ख- प्रत्येक प्राभृतिका के दो दो भेद गाथा २८६-२६० प्राभृतिका के उदाहरण गाथा २६१ प्राभृतिका आहार करनेवाले की दुर्गति गाथा २६२-२६७ प्रादुष्करण की व्याख्या गाथा २६८-२६६ क- प्रादुष्करण के दो भेद ख- पात्र शुद्धि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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