Book Title: Jainagama Nirdeshika
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 980
________________ गाथा ४६४ ९५२ पिण्डनियुक्ति-सूची गाथा ४३३-४३४ प्रगट परग्राम दूती का उदाहरण गाथा ४३५ निमित्त दोष गाथा ४३६ निमित्त दोष का उदाहरण ' गाथा ४३७ आजीविका के पांच भेद गाथा ४३८ पांच भेदों की व्याख्या गाथ। ४३९-४४० क- जाति उपजीविका ख- जाति उपजीविका का उदाहरण गाथा ४४१ कुल आजीविका गाथा ४४२ शिल्प आजीविका गाथा ४४३ पांच प्रकार के वनीपक गाथा ४४४ वनीपक शब्द का निरुक्त गाथा ४४५ पांच प्रकार के श्रमण गाथा ४४६ श्रमण वनीपक गाथा ४४७ श्रमण वनीपक की दोष रूपता गाथा ४४८ ब्राह्मण वनीपक गाथा ४४६ कृपण वनीपक गाथा ४५० अतिथि वनीपक गोथा ४५१-४५२ श्वान वनीपक गाथा ४५३ ब्राह्मण वनीपक आदि की दोष रूपता गाथा ४५४ काकादि वनीपक गाथा ४५५ अपात्र प्रशंसा दोष गाथा ४५६ क- चिकित्सा दोष ख- चिकित्सा के तीन भेद गाथा ४५७-४५६ चिकित्सा के तीनों के भेदों की व्याख्या गाथा ४६० चिकित्सा में दोषों की संभावना गाथा ४६१ क्रोधादि चार प्रकार के पिण्ड गाथा ४६२-४६४ क्रोधपिण्ड का उदाहरण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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